Book Title: Navtattva Prakaran
Author(s): Nilanjanashreeji
Publisher: Ratanmalashree Prakashan

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Page 367
________________ उत्तर : १४ - (१) गति, (२) इन्द्रिय, (३) काय, (४) योग, (५) वेद, (६) ___ कषाय, (७) ज्ञान, (८) संयम, (९) दर्शन, (१०) लेश्या, (११) भव्य, (१२) सम्यक्त्व, (१३) संज्ञी, (१४) आहारी । ११७०) मूल मार्गणाओं के कुल उत्तर भेद कितने है ? उत्तर : १४ मूल मार्गणाओं के उत्तर भेद ६२ है - (१) गति-४ : नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देव । (२) इन्द्रिय-५ : एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय ।, (३) काय-६ : पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, उसकाय ।, (४) योग-३ : मनोयोग, वचनयोग, काययोग ।, (५) वेद-३ : पुरूषवेद, स्त्रीवेद, नपुंसकवेद ।, (६) कषाय-४ : क्रोध, मान, माया, लोभ ।, (७) ज्ञान-८ : मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनःपर्यव ज्ञान, केवलज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुतअज्ञान, विभंगज्ञान ।, (८) संयम-७ : सामायिक, छेदोपस्थापनीय, परिहार विशुद्धि, सूक्ष्मसंपराय, यथाख्यात, देशविरति, सर्वविरति ।, (९) दर्शन४ : चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, केवलदर्शन ।, (१०) लेश्या-६ : कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पदम्, शुक्ल ।, (११) भव्य२ : भव्य, अभव्य ।, (१२) सम्यक्त्व-६ : औपशमिक, क्षायोपशमिक, क्षायिक, मिश्र, सास्वादन, मिथ्यात्व ।, (१३) संज्ञी-२ : संज्ञी, असंज्ञी ।, (१४) आहारी-२ : आहारी, अनाहारी । ११७१) ६२ मार्गणाओं को स्पष्ट करो। उत्तर : गति-४ : इसके चारों भेदों का वर्णन पुण्य तथा पाप तत्त्व में देखे ।, इन्द्रिय-५ : इसका वर्णन जीवतत्त्व में देखे।, काय-६ : इसका वर्णन भी जीवतत्त्व में देखे ।, योग-३ : आश्रव तत्त्व में देखे ।, वेद-३ : पाप तत्त्व में देखे।, कषाय-४ : पाप तत्त्व में देखे ।, संयम-७ : संवर तत्त्व में देखे ।, संज्ञी-२ : जीव तत्त्व में देखे। १९७२) ज्ञान व अज्ञान के भेद कितने हैं ? उत्तर : ज्ञान के भेद ५ व अज्ञान के ३ भेद हैं । ११७३) मतिज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर : इन्द्रिय तथा मन के द्वारा जो ज्ञान होता है, उसे मतिज्ञान कहते हैं । - ३६४. श्री नवतत्त्व प्रकरण

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