Book Title: Navtattva Prakaran
Author(s): Nilanjanashreeji
Publisher: Ratanmalashree Prakashan

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Page 380
________________ उत्तर : तीन - जीवत्व, भव्यत्व, अभव्यत्व ।। १२४५) सिद्ध जीव में कौन-कौन से भाव होते हैं ? उत्तर : दो - (१) क्षायिक, (२) पारिणामिक । १२४६) क्षायिक तथा पारिणामिक भावों में से क्या-क्या प्राप्त होता है ? उत्तर : क्षायिक भाव से केवलज्ञान तथा केवलदर्शन व पारिणामिक भाव से जीवत्व प्राप्त होता है। १२४७) अल्पबहुत्व द्वार किसे कहते हैं ? उत्तर : सिद्धों के १५ भेदों में से कौन-कौन से भेद एक दूसरे से अल्पाधिक है अर्थात् भेदों में परस्पर संख्या की हीनाधिकता को बताना, अल्पबहुत्व द्वार कहलाता है १२४८) नपुंसकलिंग से कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? उत्तर : तीनों वेदों की अपेक्षा से सबसे कम जीव नपुंसकलिंग से मोक्ष में जाते १२४९) नपुंसकलिंगवाले एक समय में उत्कृष्ट से कितने मोक्ष में जाते है ? उत्तर : उत्कृष्ट से १० एक समय में जाते हैं। १२५०) स्त्रीलिंग से कितने सिद्ध होते हैं ? उत्तर : नपुंसकलिंग से संख्यातगुणा अधिक स्त्रीलिंग से सिद्ध होते हैं । १२५१) स्त्रीलिंग से एक समय में उत्कृष्ट से कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? उत्तर : उत्कृष्ट से एक समय में २० । १२५२) पुरुष लिंग से कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? उत्तर : स्त्रीलिंग से संख्यातगुणा अधिक । १२५३) पुरुषलिंग से एक समय में उत्कृष्ट कितने जीव मोक्ष में जाते हैं ? उत्तर : एक समय में उत्कृष्ट से १०८ । १२५४) क्या नपुंसकलिंगी मोक्ष में जाता है ? उत्तर : १० प्रकार के जन्म नपुंसक को चारित्र का ही अभाव होने से मोक्ष नहीं होता परंतु जन्म के बाद कृत्रिमता से होनेवाले छह प्रकार के नपुंसकों को चारित्र का लाभ होने से मोक्ष प्राप्त होता है। ------------------ श्री नवतत्त्व प्रकरण ३७७

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