Book Title: Navtattva Prakaran
Author(s): Nilanjanashreeji
Publisher: Ratanmalashree Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 379
________________ उत्तर : मोहनीय कर्म के उपशम से उत्पन्न हुआ भाव उपशम भाव कहलाता है I १२३६) उपशम भाव के कितने भेद है ? उत्तर : दो - (१) उपशम समकित (२) उपशम चारित्र । १२३७) क्षायिक भाव किसे कहते हैं ? उत्तर : आठों कर्मों के क्षय से उत्पन्न हुआ भाव क्षायिकभाव कहलाता है 1 १२३८) क्षायिक भाव के कितने भेद हैं ? उत्तर : नौ - (१) दान, (२) लाभ, (३) भोग, (४) उपभोग, (५) वीर्य, ये पांच लब्धियाँ, (६) केवलज्ञान, (७) केवलदर्शन, (८) क्षायिक सम्यक्त्व और (९) क्षायिक चारित्र । १२३९) क्षायोपशमिक भाव किसे कहते हैं ? उत्तर : ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय तथा अन्तराय, इन चार कर्मों के क्षयोपशम से उत्पन्न हुआ भाव क्षायोपशमिक भाव कहलाता है । १२४०) क्षायोपशमिक भाव के कितने भेद हैं ? उत्तर : अठारह ४ ज्ञान, ३ अज्ञान, ३ दर्शन, चक्षुदर्शन, अचक्षु दर्शन, अवधिदर्शन, दानादि ५ लब्धियाँ, क्षायोपशमिक सम्यक्त्व, देशविरति चारित्र, सर्वविरति चारित्र । १२४१) औदयिक भाव किसे कहते हैं ? उत्तर : आठों कर्मों के उदय से उत्पन्न हुआ भाव औदयिक भाव कहलाता है । १२४२ ) औदयिक भाव के कितने भेद हैं ? उत्तर : इक्कीस - गति - ४, कषाय- ४, लिंग-३, लेश्या - ६, मिथ्यात्व, अज्ञान, असंयम, संसारीपन । १२४३) पारिणामिक भाव किसे कहते हैं ? उत्तर : वस्तु का अनादि स्वभाव या स्वाभाविक परिणमन रुप भाव पारिणामिक भाव कहलाता है । १२४४) पारिणामिक भाव के कितने भेद हैं ? ३७६ श्री नवतत्त्व प्रकरण

Loading...

Page Navigation
1 ... 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400