Book Title: Navtattva Prakaran
Author(s): Nilanjanashreeji
Publisher: Ratanmalashree Prakashan

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Page 384
________________ उत्तर : तीर्थंकर पद प्राप्त कर जो मोक्ष में जाये, वे तीर्थंकर भगवान जिनसिद्ध कहलाते हैं । जैसे ऋषभादि चौबीस तीर्थंकर । १२८१) अजिन सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : सामान्य केवली आदि, जो तीर्थंकर पद पाये बिना मोक्ष में जाते हैं, वे अजिन सिद्ध कहलाते हैं । जैसे गौतम आदि गणधर । १२८२) तीर्थ सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : तीर्थंकर द्वारा तीर्थ की स्थापना के पश्चात् जो सिद्ध हुए हैं, वे तीर्थ सिद्ध कहलाते हैं । तीर्थ का अर्थ यहाँ श्रुत-चारित्र रुप धर्म है, जिसकी प्ररुपणा तीर्थंकर करते हैं । जैसे चंदनबाला आदि । १२८३) अतीर्थ सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : धर्मतीर्थ-स्थापना से पूर्व या तीर्थ के विच्छेद होने पर अतीर्थावस्था में मुक्त होनेवाले जीव अतीर्थ सिद्ध कहलाते हैं। जैसे मरुदेवी माता आदि । १२८४) गृहस्थलिंग सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : गृहस्थ वेष में रहते हुए जो सिद्ध होते हैं, वे गृहस्थलिंग सिद्ध कहलाते हैं । जैसे - भरत आदि। १२८५) अन्यलिंग सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : अन्य वेष अर्थात् जैन वेष के अतिरिक्त संन्यासी, जोगी, तापस आदि वेष में रहा हुआ जो मोक्ष में जाता है, वह अन्यलिंग सिद्ध कहलाता है । जैसे वल्कलचिरि आदि । १२८६) स्वलिंग सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : श्री जिनेश्वर भगवान ने जो वेष कहा है, उसी शास्त्रोक्त वेष से मोक्ष में जानेवाला जीव स्वलिंग सिद्ध कहलाता है। जैसे सुधर्मा स्वामी आदि । १२८७) स्त्रीलिंग सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : जो स्त्री शरीर से मोक्ष में जाता है, वह स्त्रीलिंग सिद्ध कहलाता है। जैसे मगावती आदि । १२८८) पुरुषलिंग सिद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर : जो पुरुष शरीर से मोक्ष में जाये, वह पुरुषलिंग सिद्ध कहलाता है । श्री नवतत्त्व प्रकरण ३८१

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