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विशेष रुप से शुक्ल-स्वच्छ-धवल-निर्मल करने वाला ध्यान अथवा मन की अत्यंत स्थिरता और योग का निरोध करने वाला परम ध्यान
शुक्लध्यान कहलाता है। ९८८) शुक्लध्यान के लक्षण कौन कौन-से हैं ? उत्तर : शुक्लध्यान के ४ लक्षण निम्न हैं - (१) अव्यथ - देवादि के उपसर्ग
से चलित नहीं होना । (२) असंमोह - देवादि कृत छलना या गहन विषयों में सम्मोह नहीं होना । (३) विवेक - आत्मा को देह तथा समस्त सांसारिक संयोगों से भिन्न मानना । (४) व्युत्सर्ग - नि:संगता से देह
और उपधि का त्याग करना । ९८९) शुक्ल ध्यान के आलंबन कितने व कौन-से हैं ? उत्तर : चार - (१) क्षमा, (२) मुक्ति, (३) ऋजुता, (४) मृदुता । ९९०) शुक्लध्यान की अनुप्रेक्षाएँ कौन कौन सी है ? उत्तर : (१) अनंतवर्तितानुप्रेक्षा - संसार में अनंत बार परिभ्रमण किया है, ऐसा
चिंतन करना । (२) विपरिणामानुप्रेक्षा - संसार की प्रत्येक वस्तु परिणमनशील है, ऐसा चितन करना। (३) अशुभानुप्रेक्षा - कर्म तथा संसार के अशुभ स्वरुप पर विचार करना । (४) अपायानुप्रेक्षा - आश्रवों एवं कषायों से जीव को होने वाले दुःख
तथा संसार वृद्धि के कारणों का चिंतन करना । ९९१) शुक्लध्यान के भेद कौन कौन से हैं ? उत्तर : चार है - (१) पृथकत्व वितर्क सविचार, (२) एकत्व वितर्क अविचार,
____ (३) सूक्ष्मक्रिया अनिवृत्ति, (४) व्युपरत क्रिया अनिवृत्ति । ९९२) पृथकत्व वितर्क सविचार शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं ? उत्तर : पृथकत्व - भिन्न भिन्न, वितर्क - श्रुतज्ञान, विचार-अर्थ, व्यंजन तथा ।
योग, इन तीनों का परिवर्तन । संक्रमण अर्थात् एक योग से दूसरे योग में, एक अर्थ से दूसरे अर्थ में, एक शब्द से दूसरे शब्द में, अर्थ से
शब्द पर, शब्द से अर्थ पर, चिन्तन या विचार-संचार करना । ---------------- श्री नवतत्त्व प्रकरण
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