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८६८) सकाम निर्जरा किसे कहते हैं ? उत्तर : 'कर्म का क्षय हो' इस विचार से आत्म शुद्धि के लक्ष्य से किये जाने
वाले तप से जो कर्मक्षय होता है, उसे सकाम निर्जरा कहते हैं। ८६९) निर्जरा तत्त्व का वर्णन कौन-से सूत्र में आया है ? उत्तर : भगवती सूत्र शतक २५ उद्देशक ७ और उत्तराध्ययन सूत्र के अध्ययन
३० में निर्जरा तत्त्व का वर्णन है। ८७०) निर्जरा के सामान्यतः कितने भेद हैं ? उत्तर : बारह भेद हैं - (१) छह बाह्य तप तथा (२) छह आभ्यंतर तप । ८७१) बाह्यतप किसे कहते हैं ? | उत्तर : जिस तप को मिथ्यादृष्टि भी करते है, जिस तपश्चर्या को करते देख लोग
उन्हें तपस्वी कहते हैं, जो दिखने में आता है, शरीर को तपाता है, उसे बाह्य तप कहते हैं।
छह प्रकार के बाह्य तप का विवेचन ८७२) छह बाह्य तप कौन कौन-से हैं ? उत्तर : (१) अनशन, (२) ऊनोदरी, (३) वृत्तिसंक्षेप, (४) रसपरित्याग, (५)
कायक्लेश, (६) प्रतिसंलीनता । ८७३ ) अनशन किसे कहते हैं ? उत्तर : अशन (अन्न), पान (पानी), खादिम (फल, मेवा आदि), स्वादिम
(मुखवास), इन चारों प्रकार के आहार का त्याग करना अथवा पानी
के सिवाय तीन आहार का त्याग करना अनशन कहलाता है । ८७४) अनशन के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो - (१) इत्वरिक अनशन (२) यावत्कथिक अनशन । ८७५) इत्वरिक अनशन किसे कहते हैं ? उत्तर : अल्पकाल के लिये किये जानेवाले अनशन को इत्वरिक अनशन
कहते हैं। ८७६) इत्वरिक अनशन के कितने भेद हैं ? -------------------- श्री नवतत्त्व प्रकरण