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समान निश्चल रुप से संथारा करना, पादपोपगमन कहलाता है। ८९२) पादपोपगमन के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो - (१) व्याघातिम, (२) निर्व्याघातिम ।। ८९३) व्याघातिम पादपोपगमन संथारा किसे कहते हैं ? उत्तर : सिंह, सर्प, अग्नि आदि का उपद्रव होने पर जो संथारा (अनशन) किया ___जाता है, उसे व्याघातिम पादपोपगमन संथारा कहते हैं। ८९४) निर्व्याघातिम पादपोपगमन संथारा किसे कहते हैं ? उत्तर : जो किसी भी प्रकार के उपद्रव के बिना स्वेच्छा से किया जाता है,
वह निर्व्याघातिम पादपोपगमन संथारा कहलाता है। ८९५) भक्त प्रत्याख्यान किसे कहते हैं ? उत्तर : यावज्जीवन तीन या चारों आहार का त्याग करके संथारा करना, भक्त
प्रत्याख्यान अनशन है। ८९६) इंगित मरण किसे कहते हैं ? उत्तर : यावज्जीवन चारों आहार का त्याग करके निश्चित स्थान में हिलने-डुलने
का आगार रखकर किया जाने वाला संथारा इंगित मरण कहलाता है। ८९७) निर्हारिम किसे कहते हैं ? उत्तर : अनशन अंगीकार करने के बाद शरीर को नियत स्थान से बाहर
निकालना, यह निर्दारिम है। ८९८) अनिर्हारिम किसे कहते हैं ? - उत्तर : अनशन अंगीकार करने के बाद उसी स्थान में रहना अनिर्हारिम है । ८९९) ऊणोदरी किसे कहते हैं ? उत्तर : भोजन आदि के परिमाण को थोडा कम करना अर्थात् जितनी इच्छा
हो, उससे कुछ कम खाना ऊणोदरी है । ऊन - कम (न्यून), उदरी
उदरपूर्ति करना, ऊणोदरी कहलाता है। ९००) ऊणोदरी के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो - (१) द्रव्य ऊणोदरी, (२) भाव ऊणोदरी । ९०१) द्रव्य ऊणोदरी किसे कहते हैं ?
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श्री नवतत्त्व प्रकरण