________________
सब तरफ से, सम्यक् प्रकार से, सह-सहना, समभावपूर्वक सहन करना । संयम मार्ग में आती हुई विकट बाधाओं को समभाव पूर्वक सहन करना
परीषह कहलाता है। ७७८) परीषह कितने व कौन कौन से हैं ? उत्तर : परीषह बाईस हैं - (१) क्षुधा, (२) पिपासा, (३) शीत, (४) उष्ण,
(५) दंश, (६) अचेल, (७) अरति, (८) स्त्री, (९) चर्या, (१०) निषद्या, (११) शय्या, (१२) आक्रोश, (१३) वध, (१४) याचना, (१५) अलाभ, (१६) रोग, (१७) तृण-स्पर्श, (१८) मल, (१९)
सत्कार, (२०) प्रज्ञा, (२१) अज्ञान, (२२) सम्यक्त्व । ७७९) क्षुधा परीषह किसे कहते हैं ? उत्तर : संयम की मर्यादा के अनुसार भिक्षा न मिलने पर भूख को समभावपूर्वक
सहन करना परंतु सावद्य या अशुद्ध आहार ग्रहण न करना व आर्तध्यान
भी नहीं करना, क्षुधा परीषह कहलाता है। - ७८०) पिपासा परीषह किसे कहते हैं ? उत्तर : जब तक निर्दोष - अचित्त जल न मिले तब तक प्यास सहन करना
पर सचित्त अथवा सचित्त - अचित्त-मिश्रित जल नहीं पीना, पिपासा
परीषह कहलाता है। ७८१) शीत परीषह किसे कहते हैं ? उत्तर : अतिशय ठंड पड़ने से अंगोपांग अकड जाने पर भी अपने पास जो
मर्यादित एवं परिमित वस्त्र हो, उन्हीं से निर्वाह करना एवं आग आदि
से ताप न लेना, शीत परीषह है । ७८२) उष्ण परीषह किसे कहते हैं ? उत्तर : गर्मी के मौसम में तपी हुई शिला, रेत आदि पर पदत्राण के बिना चलना,
भीषण गर्मी में भी स्नान-विलेपन की इच्छा न करना, मरणान्त कष्ट आने पर भी छत्र-छत्री की छाया, वस्त्रादि अथवा पंखे की हवा न लेना,
उष्ण परीषह है। ७८३) देश परीषह किसे कहते हैं ?
२९४
श्री नवतत्त्व प्रकरण