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उत्तर : लोक- अलोक के समस्त रूपी, अरूपी पदार्थों का सर्वकालिक समस्त पर्यायों सहित होने वाले आत्मा के ज्ञान को जो कर्म आवृत्त करता है, उसे केवलज्ञानावरणीय कर्म कहते है ।
५८३ ) चक्षुदर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ? उत्तर : नेत्र द्वारा होने वाले पदार्थ के सामान्य ज्ञान चक्षुदर्शनावरणीय कर्म है ।
को
आवृत्त करने वाला
५८४) अचक्षुदर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : चक्षु के अतिरिक्त चार इन्द्रिय तथा मन से होने वाले पदार्थ के सामान्य ज्ञान पर आवरण करने वाला कर्म अचक्षुदर्शनावरणीय कर्म है ।
५८५) अवधिदर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : मन तथा इन्द्रियों की सहायता के बिना आत्मा में होने वाले रूपी पदार्थों के सामान्य ज्ञान को जो आवृत्त करता है, उसे अवधिदर्शनावरणीय कर्म कहते है ।
५८६) केवलदर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : रूपी, अरूपी समस्त द्रव्यों के होने वाले सामान्य धर्म के अवबोध को जो कर्म रोकता है, उसे केवलदर्शनावरणीय कर्म कहते है ।
५८७) निद्रादर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : अल्पनिद्रा, जिसमें व्यक्ति हल्की सी पदचाप से ही जग जाय या बिना कष्ट के ही जो नींद जग जाय, उसे निद्रा दर्शनावरणीय कर्म कहते है ।
५८८) निद्रा - निद्रा दर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : गाढ निद्रा - जिसमें से जागने में थोडा कष्ट हो, उसे निद्रानिद्रादर्शनावरणीय कर्म कहते है ।
५८९) प्रचलादर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : जिस कर्म के कारण बैठे-बैठे या खडे खडे ही नींद आती है, उसे प्रचलदर्शनावरणीय कर्म है ।
५९० ) प्रचला-प्रचलादर्शनावरणीय कर्म किसे कहते है ?
उत्तर : जिस कर्म के कारण चलते-चलते नींद आती है, उसे प्रचला
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श्री नवतत्त्व प्रकरण