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६५८ ) मिथ्यात्व के अन्य भेद कौन से हैं ?
उत्तर: मिथ्यात्व के अन्य ५ भेद हैं
१. आभिग्रहिक मिथ्यात्व, २. अनाभिग्रहिक मिथ्यात्व, ३. आभिनिवेशिक मिथ्यात्व, ४. सांशयिक मिथ्यात्व, ५. अनाभोगिक मिथ्यात्व । ६५९) आभिग्रहिक मिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर : तत्त्व या सत्य की परीक्षा किये बिना ही पक्षपातपूर्वक किसी तत्त्व को पकडे रहना तथा अन्य पक्ष का खंडन करना, आभिग्रहिक मिथ्यात्व है ।
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६६० ) अनाभिग्रहिक मिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर : गुण-दोष की परीक्षा किये बिना ही सभी पक्षों को समान कहना, अनाभिग्रहिक मिथ्यात्व है ।
६६१) आभिनिवेशिक मिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर : अपने पक्ष को असत्य समझते हुए भी दुराग्रहपूर्वक उसकी स्थापना, समर्थन करना, आभिनिवेशिक मिथ्यात्व है ।
६६२ ) सांशयिक मिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर : देव, गुरु तथा धर्म के विषय या स्वरूप में संदेहशील होना, सांशयिक मिथ्यात्व है ।
६६३ ) अनाभोगिक मिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर : विचार - शून्यता, मोहमूढता । एकेन्द्रियादि असंज्ञी तथा ज्ञानविकल जीवों को अनाभोगिक मिथ्यात्व होता है ।
६६४) अविरति किसे कहते है ?
उत्तर : प्राणातिपात आदि पापों से निवृत्त न होना, व्रत, प्रत्याख्यान आदि स्वीकार न करना अविरति है ।
६६५ ) प्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर : शुभ कार्य या धर्मानुष्ठान में उद्यम न करना, आलस करना प्रमाद कहलाता है ।
६६६ ) पांच प्रमाद कौन-से हैं ?
श्री नवतत्त्व प्रकरण
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