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६. सुषम- सुषम : इसे अवसर्पिणी के पहले आरे के समान समझना चाहिये ।
४३६ ) परिणाम किसे कहते है ?
उत्तर : एक अवस्था छोडकर दूसरी अवस्था में जाना परिणाम कहलाता है । ४३७ ) छह द्रव्य में से कितने द्रव्यं परिणामी तथा कितने अपरिणामी है ? उत्तर : छह द्रव्य में से जीव तथा पुद्गल, ये दो द्रव्य परिणामी हैं । शेष ४ द्रव्य अपरिणामी हैं ।
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४३८ ) जीव के परिणाम कितने व कौन से हैं ?
उत्तर : जीव के १० परिणाम है -
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१. गति परिणाम (देवादि चार गतियाँ)
२. इन्द्रिय परिणाम (स्पर्शनादि पांच इन्द्रियाँ)
३. कषाय परिणाम (क्रोधादि चार)
४. योग परिणाम (मनोयोगादि तीन )
५. लेश्या परिणाम (कृष्णादि छह )
६. उपयोग परिणाम (मतिज्ञानोपयोग आदि बारह)
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७. ज्ञान परिणाम (मत्यादि आठ)
८. दर्शन परिणाम (चक्षुदर्शनादि चार)
९. चारित्र परिणाम (सामायिकादि सात)
१०. वेद परिणाम (स्त्रीवेदादि तीन )
जीव उपरोक्त दस प्रकार के परिणामों को प्राप्त करता रहता है ।
४३९ ) पुद्गल के परिणाम कौन से हैं ?
उत्तर : पुद्गल के परिणाम निम्न हैं।
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१. बन्ध परिणाम (परस्पर सम्बन्ध होना) २. गति परिणाम (स्थानान्तर होना) ३. संस्थान परिणाम (आकार में निष्पन्न होना) ४. भेद परिणाम (स्कंध से अलग पडना) ५. वर्ण परिणाम (वर्ण उत्पन्न होना)
श्री नवतत्त्व प्रकरण