________________
उत्तर : जहाँ एक शरीर में एक ही जीव निवास करता है, उसे प्रत्येक कहते
है। जैसे आम, अंगूर आदि । १७६) निगोद किसे कहते हैं ? उत्तर : एक शरीर को आश्रय करके अनंत जीव जिसमें रहते हैं, अर्थात् एक
ही शरीर में अनंत जीवों का एक समान ही आहार, आयु, श्वासोच्छवास
आदि हो, वे निगोद के जीव कहलाते हैं। १७७) निगोद के कितने भेद हैं ? उत्तर : दो भेद है - सूक्ष्म तथा बादर । १७८) बादर निगोद किसे कहते हैं ? उत्तर : बादर अर्थात् स्थूल । जिस स्थूल शरीर में अनंत जीव रहते हो, वह बादर
निगोद है। १७९) सूक्ष्म निगोद किसे कहते हैं ? उत्तर : जहाँ एक शरीर में अनंत जीव रहते हो और वे चर्म चक्षुओं से अथवा
यंत्र से दिखाई न देते हो, केवली भगवान को ही ज्ञानगम्य हो, उसे
सूक्ष्म निगोद कहते है। १८०) निगोद का जीव एक श्वासोच्छास में कितने भव करता हैं ? उत्तर : निगोद का जीव एक श्वासोच्छ्वास में साढे सत्रह भव अर्थात् १८ बार
जन्म तथा १७ बार मृत्यु को प्राप्त करता है। १८१) सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्ता तथा पर्याप्ता जीव किसे कहते हैं ? उत्तर : जिन जीवों के बहुत सारे शरीर इकट्ठे होने पर भी दृष्टिगोचर या यंत्र
द्वारा दिखाई नहीं देते हैं, स्पर्श से भी नहीं जाने जाते, ऐसे पृथ्वी, अप्, तेउ, वायु तथा वनस्पतिकाय के जीव सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीव कहे जाते
जिस प्रकार अंजन की डिब्बी में अंजन भरा हुआ होता है, उसी प्रकार ये सूक्ष्म जीव संपूर्ण लोकाकाश में ढूंस-ठूस कर भरे हुए हैं। इन जीवों का शस्त्रादि से छेदन-भेदन या अग्नि से प्रज्वलन असंभव है । सूक्ष्म नामकर्म के उदय से ये अदृश्य ही रहते हैं । इनकी हिंसा मानसिक
श्री नवतत्त्व प्रकरण
१८९