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आधार रूप आकाश का यदि अभाव हो जाय तो कोई पदार्थ टिक नहीं सकता । घडे में पानी इसीलिये ठहरता है कि उसमें आश्रय देने का गुण विद्यमान है। इसी प्रकार समस्त पदार्थों को आश्रय देने वाला
आकाश ही है। ३५१) काल की हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है ? उत्तर : काल की उपयोगिता स्वयं सिद्ध है, क्योंकि उसके बिना कोई भी
कार्यक्रम निर्धारित नहीं हो सकता । छोटे से लेकर बडे कार्य तक में काल की सहायता अपेक्षित है। प्रत्येक पदार्थ काल के आश्रित है। उसके कारण सृष्टि का सौंदर्य तथा संतुलन है। पदार्थों में, चाहे वे सजीव हो या निर्जीव, जो भी परिवर्तन होता है, वह काल के कारण
ही संभव है। ३५२) काल के कितने प्रकार हैं ? उत्तर : मुख्य दो प्रकार है - १. निश्चयकाल, २. व्यवहारकाल । ३५३) निश्चयकाल किसे कहते है ? उत्तर : जो परिणाम का हेतु है, वर्तता रहता है, वर्ण-गंध-रस-स्पर्श रहित,
अगुरुलघु लक्षण वाला है, वह निश्चयकाल है । ३५४) व्यवहार काल किसे कहते है ? उत्तर : समय, घडी, मुहूर्त, दिन-रात, मास, वर्ष, ऐसा जो काल है, वह व्यवहार
काल है। यह सूर्य-चंद्र आदि ज्योतिष्कों की गति पर निर्भर करता
है, जो केवल मनुष्यक्षेत्र में ही चलता है । ३५५) पुद्गलास्तिकाय की हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है ? । उत्तर : पुद्गल हमारे अत्यंत निकट के उपकारी है । संसारी जीव पुद्गल के
अभाव में रह ही नहीं सकता । उसकी आवश्यकता पुद्गल के द्वारा ही सम्पन्न होती है। हमारा शरीर पुद्गल की ही देन है। भाषा, मन, प्राण, अपान आदि सब पुद्गल के ही उपकार हैं । जिस प्रकार अनुचर मालिक की आज्ञा मानने को मजबूर होते है, वैसे ही पुद्गल द्वारा निर्मित इन्द्रिय आदि जीव की आज्ञा मानते हैं ।
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श्री नवतत्त्व प्रकरण