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हो सकती ।
जीव में अनंतज्ञानादि ६ लक्षण होने के बावजूद आज हममें ज्ञान - दर्शनादि का अल्प अंश उदित हैं ? परंतु संपूर्ण उदित नहीं है, इस प्रकार से चिंतन करते हुए हमारी आत्मा में विवेक की जागृति होगी । जीव के १४ भेदों में हमारा समावेश किसमें होता हैं ? १४ भेदों को जानकर उनकी हिंसा से बचकर हेय को हेय रूप में, उपादेय को उपादेय रूप में तथा ज्ञेय को ज्ञेय रूप में जानकर जीवत्व का चिंतन कर स्वस्वरूप की, सिद्धावस्था की प्राप्ति का लक्ष्य प्रत्येक जीव रखे । यही जीवतत्त्व को जानने का एकमात्र उद्देश्य है ।
अजीव तत्त्व का विवेचन
२९७) अजीव किसे कहते है ?
उत्तर : जो चैतन्य रहित हो, जो सुख - दुःख के अनुभव से रहित हो, जड हो, उसे अजीव कहते है |
२९८ ) अजीव के भेद तथा उपभेद कितने हैं ?
उत्तर : अजीव के मुख्य भेद ५ तथा कुल भेद १४ हैं ।
२९९ ) अजीव के ५ भेद कौन-से है ?
उत्तर : १. धर्मास्तिकाय, २. अधर्मास्तिकाय, ३. आकाशास्तिकाय, ४. पुद्गलास्तिकाय, ५. काल ।
३०० ) अजीव के १४ उपभेद कौन-कौन से है ? उत्तर : अजीव के १४ उपभेद निम्नप्रकार से है
धर्मास्तिकाय के तीन भेद - स्कंध, देश, प्रदेश । अधर्मास्तिकाय के तीन भेद - स्कंध, देश, प्रदेश । आकाशास्तिकाय के तीन भेद पुद्गलास्तिकाय के चार भेद काल का एक भेद, इस प्रकार ३०१ ) धर्मास्तिकाय किसे कहते है ?
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- स्कंध, देश, प्रदेश । स्कंध, देश, प्रदेश, परमाणु । अजीव के कुल १४ भेद होते हैं
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श्री नवतत्त्व प्रकरण