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ग्रैवेयक, ५ अनुत्तर वैमानिक । ये कुल ९९ हुए। इनके अपर्याप्त तथा
पर्याप्त के भेद से देवता के कुल १९८ भेद होते हैं । २८२) भरतक्षेत्र में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : ५१ भेद पाये जाते है । तिर्यञ्च के ४८, एक भरतक्षेत्र कर्मभूमि का
अपर्याप्ता, पर्याप्ता तथा सम्मूच्छिम इस प्रकार कुल ५१ भेद पाये जाते
२८३) जम्बूद्वीप में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : ७५ भेद । ४८ तिर्यञ्च के, एक भरत, एक ऐरवत, एक महाविदेह, एक
हैमवत, एक हैरण्यवत, एक हरिवास, एक रम्यकवास, एक देवकुरु, एक उत्तरकुरु । इन नौ के अपर्याप्ता, पर्याप्ता तथा सम्मूच्छिम, ये तीन तीन भेद गिनने पर कुल ९ x ३ = २७ भेद होते हैं । इस प्रकार
कुल ४८ + २७ = ७५ भेद हुए। २८४) लवण समुद्र में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : २१६ भेद । ४८ तिर्यञ्च के, छप्पन अन्तर्वीप के अपर्याप्त, पर्याप्त तथा
सम्मूच्छिम ये तीन-तीन भेद गिनने पर ५६ x ३ = १६८ भेद होते
हैं । कुल १६८ + ४८ = २१६ भेद हुए। २८५) धातकी खण्ड में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : १०२ भेद । ४८ तिर्यञ्च के, दो भरत, दो ऐरवत, दो महाविदेह, दो
हैमवत, दो हैरण्यवत, दो हरिवास, दो रम्यकवास, दो देवकुरु, दो उत्तरकुरु । इन अठारह के अपर्याप्ता, पर्याप्ता तथा सम्मूच्छिम ये तीन
तीन भेद गिनने पर ५४ भेद हुए । कुल ४८ + ५४=१०२ भेद हुए। २८६) कालोदधि समुद्र में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : केवल तिर्यञ्च के ४८ भेद पाये जाते हैं । २८७) अर्द्धपुष्कर द्वीप में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : धातकी खण्ड की तरह ही अर्द्धपुष्कर द्वीप में भी जीव के १०२ भेद
पाये जाते हैं। २८८ ) समुच्चय ढाईद्वीप में जीव के कितने भेद पाये जाते हैं ? उत्तर : ३५१ भेद । १०१ अपर्याप्त मनुष्य, १०१ पर्याप्त मनुष्य, १०१ सम्मूच्छिम
___ मनुष्य, ये मनुष्य के ३०३ भेद और ४८ तिर्यञ्च के भेद कुल ३०३
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श्री नवतत्त्व प्रकरण