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उत्तर : स्पर्श, रस, घ्राण तथा चक्षु, इन चार इन्द्रियों से युक्त जीवों को
चतुरिन्द्रिय कहा जाता हैं । ये जीव अगर स्वयोग्य ५ पर्याप्तियाँ पूर्ण करने से पूर्व मर जाते हैं तो अपर्याप्ता तथा पूर्ण करने के पश्चात् मरते
हैं तो पर्याप्ता चतुरिन्द्रिय कहलाते हैं। १८८) क्या विकलेन्द्रिय (द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय) जीव सूक्ष्म नहीं होते ? उत्तर : नहीं । विकलेन्द्रिय जीव त्रसकायिक होने से इनके सूक्ष्म नाम कर्म
का उदय नहीं होता । ये केवल बादर ही होते हैं । सूक्ष्म नाम कर्म
का उदय केवल स्थावरकायिक एकेन्द्रिय जीवों को ही होता हैं । १८९) असंज्ञी पंचेन्द्रिय किसे कहते हैं ? उत्तर : संमूछिम मनुष्य तथा सम्मूच्छिम तिर्यञ्च असंज्ञी पंचेन्द्रिय कहलाते हैं।
इन जीवों के पांचों ही इन्द्रियाँ होती हैं परंतु विशिष्ट मनोविज्ञान से रहित होने के कारण ये असंज्ञी कहलाते हैं । ये जीव यदि स्वयोग्य ५ पर्याप्तियाँ पूर्ण करने से पूर्व ही मर जाते हैं तो अपर्याप्ता असंज्ञी तथा पूर्ण करने के पश्चात् मरते हैं तो पर्याप्ता असंज्ञी पंचेन्द्रिय कहलाते हैं ।
संमूच्छिम मनुष्य नियमा अपर्याप्ता ही होते हैं। १९०) संज्ञी पंचेन्द्रिय किसे कहते हैं ? उत्तर : जो जीव माता-पिता के संयोग से गर्भ में उत्पन्न होते है, ऐसे मनुष्य
तथा तिर्यञ्च व उपपात जन्म धारण करने वाले नारक तथा देव संज्ञी पंचेन्द्रिय कहलाते हैं । इन जीवों के ५ इन्द्रियाँ तथा मन सहित ६ पर्याप्तियाँ होती है। ये जीव यदि मरण से पूर्व स्वयोग्य ६ पर्याप्तियाँ पूर्ण करते है तो पर्याप्ता और यदि पूर्ण नहीं करते हैं, तो अपर्याप्ता
संज्ञी पंचेन्द्रिय कहलाते हैं। १९१) जीव का जन्म कितने प्रकार से होता हैं ? उत्तर : जीव का जन्म तीन प्रकार से होता है - १. सम्मूर्च्छन, २. गर्भज, ३.
उपपात । १९२ ) कौन से जीव सम्मूच्छिम कहलाते हैं ? उत्तर : जो माता-पिता के संयोग बिना अन्य बाह्य संयोग से उत्पन्न होते हैं, . वे सम्मूच्छिम कहलाते हैं।
----------- श्री नवतत्त्व प्रकरण