________________
करने वाला स्वलिंगी कहलाता है । ऐसे साधु वेश से जो मोक्ष में जाये, वह स्वलिंग सिद्ध है।
८. स्त्रीलिंग सिद्ध : जो स्त्रीलिंग अर्थात् स्त्री शरीर से मोक्ष में जाये, वह स्त्रीलिंग सिद्ध है।
९. पुरुषलिंग सिद्ध : जो पुरुष शरीर से मोक्ष में जाये, वह पुरुषलिंग सिद्ध है।
१०. नपुंसकलिंग सिद्ध : जो नपुंसक शरीर से मोक्ष में जाये, वह नपुंसकलिंग सिद्ध है । जन्मजात नपुंसक चारित्र प्राप्त करने के अयोग्य होने से उसका मोक्ष नहीं होता । यहाँ विवक्षित सिद्ध कृत्रिम नपुंसक की अपेक्षा से है अर्थात् कृत्रिम छह प्रकार के नपुंसक मोक्ष में जति हैं -
१. वर्धितक : इन्द्रिय के छेदवाला पावइया आदि । २. चिप्पित : जन्म पाते ही मर्दन से गलाये हुए लिंग वाला । ३. मंत्रोपहत : मंत्र प्रयोग से पुरुषत्व नष्ट किया हुआ । ४. औषधोपहत : औषधप्रयोग से पुरुषत्व नष्ट किया हुआ । ५. ऋषिशप्त : ऋषि के श्राप से नष्ट पुरुषत्क वाला । ६. देवशप्त : देव के श्राप से नष्ट पुरुषत्व वाला ।
ये छह प्रकार के नपुंसक चूंकि जन्म से नपुंसक नहीं है, अतः चारित्र ग्रहण कर मोक्ष में जाते हैं।
११. प्रत्येकबुद्ध सिद्ध : संध्या समय के बदलते अस्थिर क्षणिक रंगों आदि के निमित्त से वैराग्य पाकर मोक्ष में जाये, वे प्रत्येकबुद्ध सिद्ध कहलाते
है।
१२. स्वयंबुद्ध सिद्ध : जो बिना किसी बाह्य निमित्त अथवा उपदेश के जातिस्मरणादि से अपने आप स्वतः प्रतिबुद्ध हो, वे स्वयंबुद्ध सिद्ध है । - १३. बुद्धबोधित सिद्ध : बुद्ध - गुरु द्वारा, बोधित-प्रतिबोध-उपदेश को पाकर जो मोक्ष में जाये, वह बुद्धबोधित सिद्ध है।
१४. एकसिद्ध : एक समय में एक जीव मोक्ष में जाये, वह एकसिद्ध
१५८
श्री नवतत्त्व प्रकरण