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नवतत्त्व प्रकरण प्रश्नोत्तरी
प्रारंभिक प्रश्नोत्तर १) नवतत्त्व प्रकरण के रचयिता कौन है ? । उत्तर : नवतत्त्व प्रकरण के रचयिता चिरंतनाचार्य है। कहीं-कहीं ऐसा उल्लेख
भी उपलब्ध होता है कि इसके रचयिता पार्श्वनाथ परम्परा के ४४वें
पट्टधर देवगुप्ताचार्य है। २) नवतत्त्वों में सर्वप्रथम जीव को ही क्यों स्थान दिया गया है ? उत्तर : इन नौ तत्त्वों में ज्ञाता, पुद्गल का उपभोक्ता, शुभाशुभ कर्मों का कर्ता
तथा संसार और मोक्ष के लिये सत्पुरुषार्थ करने वाला जीव ही है। अगर जीव न हो तो पुद्गल का उपयोग कौन करेगा? कौन पुण्यपाप का उपार्जन करेगा तथा कौन संवर, निर्जरा द्वारा मोक्ष को प्राप्त करेगा? इसलिये नवतत्त्वों में जीव तत्त्व को प्रथम स्थान पर रखा गया
३) तत्त्व किसे कहते है ? उत्तर : चौदह राजलोक रूप जगत में रहे हुए पदार्थों के लक्षण, भेद, स्वरूप
आदि को जानना, तत्त्व कहलाता है । ४) तत्त्व कितने व कौन-कौन से हैं ? उत्तर : तत्त्व नौ हैं - १. जीव, २. अजीव, ३. पुण्य, ४. पाप, ५. आश्रव,
६. संवर, ७. निर्जरा, ८. बंध, ९. मोक्ष । . ५) जीव तत्त्व किसे कहते है ? उत्तर : जीवों के लक्षण, भेद, स्वरूप आदि को जानना जीव तत्त्व है। ६) जीव किसे कहते है ? उत्तर : जो शुभाशुभ कर्मों का कर्ता-हर्ता तथा भोक्ता हो, जो सुख-दुःख रूप
ज्ञान के उपयोग वाला हो, जो चैतन्य-लक्षण से युक्त हो, जो प्राणों को
धारण करता है, वह जीव कहलाता है। ७) द्रव्य जीव किसे कहते है ?
श्री नवतत्त्व प्रकरण