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२३) पाप कितने प्रकार का है ? ... ....... उत्तर : पाप २ प्रकार का है - १. पापानुबंधी पाप २. पुण्यानुबंधी पाप । २४) पापानुबंधी पाप किसे कहते है ? उत्तर : जिस पापकर्म को भोगते हुए नये पापकर्म का अनुबंध हो, उसे
पापानुबंधी पाप कहते है। जैसे विपन्न-दुःखी, कसाई इस भव में पाप कार्य से दुःख भोग रहे हैं और रौद्र तथा क्रूर कर्म द्वारा वे नये पाप
कर्म का उपार्जन कर रहे हैं, इसे पापानुबंधी पाप कहा जाता है। २५) पुण्यानुबंधी पाप किसे कहते है ? उत्तर : जिस पाप कर्म को भोगते हुए पुण्य का बंध हो, वह पुण्यानुबंधी पाप
है। जैसे जीव दरिद्रता आदि दुःखों को भोगता हुआ मन में समता रखे कि यह मेरे ही पाप कर्म का परिणाम है । इस प्रकार की विचारधारा वाला जीव पाप कर्म को भोगता हुआ भी नये पुण्य का उपार्जन करता
है । जैसे पूणिया श्रावक । २६) पाप के अन्य दो प्रकार कौन-से हैं ? उत्तर : पाप के अन्य दो प्रकार हैं - (१) द्रव्य पाप, (२) भाव पाप । २७) द्रव्य पाप किसे कहते है ? उत्तर : जीव को दुःख भोगने में कारण रूप जो अशुभ कर्म हैं, उसे द्रव्य पाप
कहते है। २८) भाव-पाप किसे कहते है ? - उत्तर : अशुभ पापकर्म को उत्पन्न करने में कारण रूप जीव के जो क्रोधादि
कषायरूप अशुभ अध्यवसाय हैं, उसे भाव पाप कहते है । २९) पुण्य-पाप की चतुर्भंगी कौन-सी है ? उत्तर : १. पुण्यानुबंधी पुण्य - पुण्य बांधने वाला पुण्य ।
२. पुण्यानुबंधी पाप - पुण्य बांधने वाला पाप । ३. पापानुबंधी पुण्य - पाप बांधने वाला पुण्य ।
४. पापानुबंधी पाप - पाप बांधने वाला पाप । ३०) आश्रव किसे कहते है ?
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श्री नवतत्त्व प्रकरण