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है । यह अशुद्ध पद है। कुछ शब्द सम्मिलित होते हैं, वे शुद्ध नहीं होने पर भी उनकी सत्ता होती है - जैसे राजपुत्र । इसमे दो पद है, जो जुडे हुए है परंतु यह अशुद्ध पद है । शुद्ध पद वो है, जो अकेला है तथा अर्थ सहित है । मोक्ष यह अकेला, सार्थक व शुद्ध पद है, अतः इसका अस्तित्व है।
१४ मार्गणाएँ
गाथा गइ इंदिए अकाए, जोए वेए कसाय नाणे अ। संजम दंसण लेसा, भव सम्मे सन्नि आहारे ॥४५॥
अन्वय गइ, इंदिए, काए, जोए, वेए, कसाय, नाणे, संजम, दंसण, लेसा, भव अ सम्मे, सन्नि अ आहारे ॥४५॥
संस्कृत पदानुवाद गतिरिन्द्रियं च कायः, योगो वेदः कषायो ज्ञानं च । संयमो दर्शनं लेश्या, भव्यः सम्यक्त्वं संझ्याहारः ॥४५॥
... शब्दार्थ
गइ - गति
संजम - संयम इंदिए - इंद्रिय
- दसण - दर्शन काए - काय (शरीर) लैसा - लेश्या जोए - योग
भव - भव्य वेए - वेद
सम्मे - सम्यक्त्व कसाय - कषाय
सन्नि - संज्ञी नाणे - ज्ञान
आहारे - आहार अ - और
भावार्थ गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, ज्ञान, संयम, दर्शन, लेश्या,
---------------- श्री नवतत्त्व प्रकरण
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