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अद घरिकम्प वप्y जिह हरिज, सुरिगसुग्धउ जिरण गुरण को रासि
जिरगदत्त चरित
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महिलरगाह सुरु लिपरें नमिउ । रामि' जिरण खल बोसह पासि ॥
अर्थ:-रनाथ जिन्होंने कर्म शत्रु के दर्द का हरण किया है, देवताओं के द्वारा पूजित माल्लिनाथ को नमस्कार हो, मुनिसुव्रत जिनेन्द्र जो गुणों की राशि हैं तथा नमि जिनेन्द्र निश्चय ही दोषों को नाश करने वाले हैं।
नियर - निकर-समूह |
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१. मूलपाठ 'रात्रि' है
परसद स्पृण-स्पर्श करना ।
समद विजय सुतु रोमि जितेंदु, पासरणाह पय परसह दु । धर सिरु लाइ राइसिंह कवद, बहुफलु वीरशाहू जो पवई ।।
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अर्थ:-समुद्रविजय के पुत्र जितेंद्र नेमिनाथ तथा पार्श्वनाथ जिनके चरणों का स्पर्श इन्द्र करता है ( इन सभी को नमस्कार है) । कवि राजसिह ( र ल्ह ) साष्टांग नमस्कार करके कहता है कि सबसे अधिक फन्न उसे होता है जो भगवान् वीरनाथ ( महावीर ) को नमस्कार करता है ।
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चrates सामि वुह हररण, चजवोसह मुक्के जर मरण ।
चवीसह मक्ख कउ ठाउ, जिला
बीस नाउ धरि भाउ ॥
श्रथं वीवीसों स्वामी (तीर्थंकर) दुःखों के हर्ता हैं, सभी चौवीस जरा एवं मरण से मुक्त हो चुके हैं। सभी नौबीस मोक्ष के निवासी हैं इसलिये सभी चौबीस तीर्थकरों को भाव धारण कर ( माव पूर्वक ) नमस्कार करता हूँ ।
मुक्के मुक् मुच् छूटना, मुक्त होना ।
ठाउ
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स्थान ।