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अर्थ :- जहां पर समस्त
मगध कहा जाता है । पामरों
महलों पर चढी हुई ऐसी लगती हैं मानों वे छोड़ो आकर स्वर्ग से छूट पड़ी हों ।
पारि - नीच
चन चय - व्यक्त - छोड़ा हुआ |
मगह
मगध
आवास- प्रासाद
प्रवास
१. सग मुलपाठ |
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अंब - श्राम |
जिवत चरित
वस्तुएं पाई जाती हैं ऐसे उस देश का नाम (नीच मनुष्यों) की स्त्रियां (उस देश में )
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परतह प्रत्यक्ष 1
गाइ
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नाम ।
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करहि राज्जु सकुटंब
अर्थ :- अब उस देश का व्यवहार सुनी जहां पर घर घर में फल सहित सहकार ग्राम के वृक्ष थे । लोग सकुटंब राज्य जैसा सुख भोगते तथा प्रत्यक्ष में कोई दुखी नहीं दिखाई देता था ।
साहार - सहकार - एक जाति का आम 1
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बसाहार ।
हरि घरि सफल लोइ, परसह दुखी न दीसइ कोइ ॥
T ३३ 1
पहिया पंथ न भूखे जाहि केला दाख छहारी खाहि । गामि गामि देते सत्कार, पहियह कूरु देहि अनिवार ।। पद :- जहां पर पथिक मार्ग में भूखे नहीं जाते थे तथा केला, दाख, छुहारा खाते थे। जहां पर गांव गांव में सत्त के भोजनालय थे जो पथिकों को देखते ही अनिवार्य रूप से ( सत्तओं के ) कूट (ढेर ) खाने के लिये देते थे
पहिय – पथिक । क्रूरु - कट-ढेर | मनकार मत्सु क... आलय - सत्तू धर (सत्त-भुने हुए यव आदि का चूर्ण जो पानी में मानकर मीठा व नमकीन बना कर खाता जाता है) ।
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