Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
View full book text
________________
२१५
महमहणु = मनुसूदन - १०७, ] मागि = मांगी - ३३०, मादि, महरू :
-११, माझ = मध्य - २३३, महंघी - अधिक मूल्य काली - १७६, | माझिझ = मध्य में - १५३, महा =
-५३१॥ माटी = मिट्टी - ३४७, महापुराणु = महापुराण - ६४, माठी = सुभेल - ६६, महाबल - महाबलपान - ११८, माडियउ = तैयारी करना - ४८०, महामति =
मा गाग - २१, ३.७, महामंत्र =
-४६२, मारपमु - मनुण्य - २११, २२७, महावतु = महावत - ३४५, माणिक = रत्न - ४१. १३५, महावत्थु - महावत - २४३, माणिवि = मारणकर - ५३४, महि = मध्य में - ७६, २४२, मारः = मान - ३६
......... मादि, मास्यसि = मानवी - ३३३, महि मंडल = पृथ्वी मंडल - EC, माणुसु = मनुष्य - २२१, महियलि = पृथ्वी पर -२, माता - माँ - २७, २८, ३८६, महिलइ = मध्य में - २६४, माति = सीमा - ५११, महिष = भैसे - १८६,
माथे - मस्तक पर - १९२, मह = मेरी - ११, १६, २० ''प्रादि मानह = मानकर - २६१, महोछउ = महोत्सव - ५७,, मानहि = मानते थे-४६१, ५०४, महोवहि = महोदधि - २५६, माय = माता - २६३, ३८६, महावेगु = महावेग - २६१, माया = -५३६, महंत = - ४५७,
मायारु = माया - ३६, महंतु = बड़ा - ४०६, ५१३ .
मारई = मारना - मृग = हिरन - ३७६,
मारउ = मारूंगा - २२८, २३०,२६५ म्हारउ = मेरा - ४६७,
मारण = मारना -४४, म्हारिय = मेरी - १५०,
मारण = घात -३६,२६४, म्हारी = मेरी - २४६,
मारि = घाल - ७१, १५०, मादि, माइ = माता - १६, २७, २८, आदि मारिउ = मारना - २२३, माईयइ = समा जाना - ६२, मारु = मारो - २६३, ४५७, माखद = -४८५, मारुवेग = वायुवेग - २६१, मांग =
मारोगा = - २७४, मागइ = मांगता है - ४६६, माल = माना - २१.२४१, ३७४. मांगह -
भालती =
- १७३,

Page Navigation
1 ... 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296