Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
View full book text
________________
२२॥
लाखु = पं० लाग्नु – ५५०, लीय = लेकर – ३३१, नागइ =
- १४८, | लीलारम :- मंग-विलास - ....... लागउ :- लगता हूँ - १०, ५१६, । लौति = निगलना - १६५, लागि = स्पर्श कर - २४२, २५.५. | नीव = बालक - ६६, सागी = - ११४, २४६, ३१७, | लइ = लेकर - ७६, १४७, ३७४,पादि लागु = लगा - २३२,
लेउ -
- ४७०, ४७८, लागे = लगे - ३६९,
लेस्त्र * -११६, लाग्यो = - २२७, मार्गद, लेख इ = समझना - ३४७, लाड़ि = लाड़ी - २७०
लेखि = पत्र - १४६, लारणी = -४४२,
लेग = मने को - १४६, ४२१, लापड़ = लंपट - ४६७,
लेत = लना - ४११, लापसी = ........' - ४१२, लेपसो - लेप से - ३३२, लय = लगाना - १४३, लेहि = लेते हैं - :४, १६२, मादि, साव - -७५,
लेहु - -८१, ४६६, आदि, लावळ = लामो - ४५४,
लोई = लोग - ३२, शदि, लावण - सुन्दर - ७५,
लोउ = लोग – १६६, लाबत = - ३५५, लोए = लोक - ४०३, लावहि = लाना - ३०६,
लोक = संसार, लोक - ७, लावै = लगाव - ७२,
नोकु = लोग – ३५६, लिउ = लिया - २५२.
लोग = - २३५, ३११, यादि, लिख = --१४६, लोगु = लोग - ११६, लिखत = लिखते हुये - ६५, लोमुपागु = जन समुदाय - ३६६ लिखतह = लिखते ही - १०४, लोचन = लोचन - २८२, लिखी = लिखी हुई - ११७, लोटणी - - ४६८, लिय - लिया - ४७२,
लोरण = नमक -- १४०, लिलाडेहि = ललाट पर - ७७, लोपहि = छिपाना - ३२२, लिलार - ललाट - २६०, लोभित = लोमी - ३६६. लिहाइ = लिखाकर - ११२, लोय = लोग - ४२, ३६६, लिगु = -५४७,
| लोयण = लोवन - ४०१, लीए - ०१-५, लोह टोपर - लोहे की टोपो - १६२, लीज :- लेना - ४८, ३२४, नोहे मार - लोहे की मारी - ...... लीगु = लीन - ४७०,
| लंक = कटि - ६२,

Page Navigation
1 ... 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296