Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur

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Page 275
________________ २३२ सहाहि = | सामहनि = सम्मुख - १७७, सहि = सहित - ३६, ".....यादि, सामि = स्वामी -- २१४, २८२, सहिउ =, - ४८८, ५४१, सामिउ = स्वामी - ४२५, सहिय = सखिर्या - ६.. सामिरिण = स्वामिनी - ११, सष्टियरण = - ३८, सामिय = स्वामी -- ४, २५,..... प्रादि सहियगई - सानि = , .. सही = सहन किया -७१, २५३, सामी = , - १५७, ३.४, प्रादि सहु = सब - ६६, ...........आदि, सामीय = , -5, साय ,, -- १५७, स्वयंवर - - ५१, सहायर - सागर - २२२, ..... आदि, स्वातिनखतु = स्वाति नक्षत्र - २६, सापरबत - भागरदत्त - ३६४,...", स्वामिनी = - १६, सायरु = सागर - २५१, आदि, स्वामी = - ४००, मार = चौगड़ - २३३ आदि, सा = बह (स्त्री)- ८६, ८७, ......, सार३ = दूर करना - २१३, साह - स्वामी - १५६, सारद = शारदा -१४, अादि, साई = ,, -३२४, मारु -- सम्पन्न - ३६, ६५, १८५, साकल = सांकल (अर्गला)- ३४५, सारंग = -३८ साखि = साक्षी - ३१४, सारंगदे = -२७६, सासी = ,, - ३५०, सावधारा ८ - ४८७, सागर - समुद्र - २५३, ३६४, सामय - श्रावक - ५१६ साचा: = - ४.७६, सावयह = ,, - ३८, साचा = सच - ३११, साल = - ४३३, साजि = सजाकर - १२१, सावल-उसाजित = 1, - १२१, सावलदे = सादिदि = बदलना - २०१, साबु = सभी - .. सादि- ६. (पष्ठिः) - १९३, सासइ = संशय - ३६४, साषंदे = प्रानन्दपूर्वक - १६, सासु = श्वशू (राास) - १४६, सात = ७ - ५१५, सामू = " - १५७, साथि = संग, पास - २५४, साहउ = - ४४३, साधरउ = धरा पाय - २३१, साहण = साधन - २६६, सामलो = अच्छी - १०१. साहणा = सैर - ३८, सामले = - ४२६. साहाणु = , - ४४६,४७८,

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