Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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२६३
सिक =
साहर = साहूकार - ११८, | सिवदेव =
- ५२८, साहस = साहसी - २५८, ३६६, अादि सिबपुरि = मोक्ष -- ४, साहसु साहस - १३६, २४२, | सिहु = साथ - १०२, २६, आदि, साहि = सहारे - ३६७, ५३७, | मिगारमइ = शृङ्गारमती-२८१, ३४२, साहिब्बउ = साधूगा - ५३७, सिंघलदीपि = सिंघलद्वीप - ३६०, साहु = सेट -- ३८, ५८, ११३, प्रादि , सिंचरण = सींचना - १६६. सांकरे = सांकले - १६१,
रिचि = सींचकर - १०६, साँझो = मंगा गमप - 3 सिंह - सींचना - १६६, सिउ = से, सब - २६३, ४२६, प्रादि. सिदुबार =
- १३४,
सिंह = प्रमुख - ४६५, सिखवय - शिक्षा व्रत -५१,
| सिहल = सिहल - ३४०, ...मादि, सिखि =
- ३८, सिग्धु = शीत्र - १५४,
सिंहासरा =
-४६०, सिगरी - समी - १२१,
सिहासरन - सिंहासन - ४१६, सिठ = प्रसिद्ध - १३,
सिंहुज = - २८६, सिद्धः = सिद्ध हुपा - २५हे.
सीखिउ = सीखा - १५, सिद्धि =
- २८७, सीखी =
- ३३३,
मीघर - सिर = मस्तक - १५४,
सीमा =
- ३८, ४७०, सिरघ = शीघ्र - ४६७,
सीयल = शीतल - ५, सिरह = सिर पर - E८,
सीयलव , -१४, सिरह = " - १५३,
सीयतु = - - ५, सिरि = सिर - २२८,
सोया = सीता - ३९६, सिरी + - २६८,
सौग्धु - श्रीरघु - ३८५, सिरीखंड = श्रीखंड - १७२,
मंद -
-1, सिरिगण -
- १८५.
| सोनवत = शीलवान - ६६, ४६६, सिरिमइ : श्रीमती - २२१,
मीलु - शीलवत - १५७, २५१,मादि सिरिमति = । - २५६,
सील्हे = सिरीया - , - २७, २५४ ।
| सीक्ल = सेमल - २६०, सिरीयामति- , - २३६, आदि, ' सिरु = सिर, मस्तक - ८, २२६, प्रादि सीसई =
-३६, सिला = शिला - ३३३,
सीसे = शिरस्त्रारण - ४१७, सिलारूप = शिला के रूप में - ३३५, मीहहि = सिंह - ३५७, सिलाइ = शिला - ३३४, | सींग =
- ४४१,
सीम =

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