Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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हम =
संबंधी =
-५३५, | हथिए - संमा = संभव हुई - २५३, . | पिया = हाथी -- ३५६, संमलि -
- ४३२, हनि = नष्ट कर - ५४७, संभव = संभवनाथ - ३, १४, हुनु = हरना - ४६, संभव इ = संभव हुमा - २५१, हपा = हप्पा - ४१०, ......सादि, संमालि = स्मरण किया - २५५, | हप्पा - , - १८०, ....." मादि, संमदी = विदा किया - २३९, हम कह - हमको - ८१, संवत् = सम्वत - २६,
- १३१. संबल - मार्ग का भोजन - १४६, १६०| हमरउ = हमारा - २४४ संसहु - - ५२५, हमह - हम्हें - ३६३, संसारह -
- ५१२, हमहू = हमें - १७७, संसारि
हमारी = -२३४, ४००, सहरिङ = संहार किया - ३६६, | हमारे =
- २६६, संज्ञासु = विचारों में - ४८५, हमारी =
हमि =
- १७८,
हमु = हमें - ७४, १११, मादि, हा = है - १३, १३५, ..."'''प्रादि, | हमुहि =
- ४३६, हउ = मैं - १०८, १६, ".."अादि, । हयउ -
- ३५८, ५२८, हरण -
-५५२, हर = हरना - ३५४, हैकरा = बुलाया - ८४,४६३, हरइ = ह्रण - २७६, हकरायज = , - ४४५, हरड़ -
-१७२, हकारउ = बुलाना - २१७, हरण = हरने वाला - ६,६, हष्कारज = बुलाने - ६६,
हरतु - हकारि = बुलाकर - ११६, ....प्रादि हरस्यो = किउ = बुलाया - २५६,
हरहि = हरती है -- २८०, हम = सरना - ४०२,
हरहुँ = हरो - ११, हहि - गाली देना - ६८,
हरिउ = हरना - ७, हण = हनन करना -- ३५७, हरिएवास = हरा बांस - १२५, हरराहि = मारना - २२१,
हरिगुरण = -१८०, हत्थालवण = हस्तावलंबन - ५५०, हरिचंद - हत्थु = हाथ – १६,
हरी = हरना - ४१२, हत्थी - हाथी - ३४४,
| हरु = हल्की - ६६,
-४३८.

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