Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur

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Page 273
________________ २३० सत = सतीस्व - २४७, ३०७, आदि, समाद = मान सहित - १०, ११२, सप्त तच्च = सप्त तत्व - ५२०, समामइ = मा में - ३३०, सतभाउ = अच्छी तरह (सत्यभाव)- | सभालि = स्मरण कर - २२५, २७५ ६२........... नादि | समचित्त = प्रान्तचित्त - ४, सस्तषर = सप्त अक्षर(एमो-पारिहंतारणं)| समझाइ = ............ - १४५, - २५३, | समस्थि = ............ - ३४४, सत्तावन = ५७ -५५२, समत्थु - समर्थ – ६ १६, सतिभाउ = . - ४३७, | समद = समुद्र - २४१, २६३, सती - -२४७, २५०, प्रादि, समदत = अशोक - २६६, सतीस - सतपण - ५.५, तमविजय - समुद्रविजय (म नेमिनाथ सतूकार = सस के भोजनालय - ३३, । के पिता ) - ८, सत्य = ............ - ३८, ५५२, समदह = समधी -- २१३, सत्थवइ - .............. - ३८, समदहि = - २३७, सत्यहि = साथ -१, समदी = व्याही (यर पक्ष) - १२६, सत्थ = शास्त्रि- ५५, समद्यत - - .s, सत्थे = व्यापारी दल - २२२, समद्यौ = - ४५०, सद = शम्द - १४, समरि -- लड़ाई में - ४७१, सधर = धरा पर - १०६, समलहु = - ४३५. सधारु - + १८३, सम्बर = श्रमण, साधु - ३६१, सनमधु = सम्बन्ध - ३२६, सम्हारि = संभालना - ३१७, सनि = पानिश्चर - १३, समाइ = समाना - ३६८, ३६६, सनु = -- ४६२, ममाण = + - २३, सपडु = - ३४६: समारणहं - , - ३८, सप्पू = सर्प - २२७. समारिणय = समान उम्र की - १०, सप्तमंग - स्यावाद के सात सिद्धांत ' समाहि = समाधि - ५३०, ५३८, - १४, | समाहिगुप्त - समाधिगुप्त - ५१४, सफल = फल सहित - ३२, | समीट - सुमधुर – ३२६, सब = सर्व, सभी - ४२,४४, आदि, | समोष = पास, साथ -- ३६४, सबद = ..., समु = समान - ४०, ७४, ४२७, सबही - -४३, ! समुझावरण = - ४८२, सद् = सब - ४८, १२४ ..... प्रादि, : समुद = समा = बैठक - ३३४ ......आदि, | समुद्द = समुद्र - १९५, २५४, २६१,

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