Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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२२८
-१८३.
वील्हे =
यी नयउ :- विनती करा . ४५, म =
- २४८, . वीपुमा =
- ३०५, | बूढ़ि = बुद्धा - २२२, वीयराउ = वीतराग - ५२, वेग =
- २२८, बीयराग = , - २५, वेगह = शीन - २६६ वीर = बहादुर - ७५., ...... प्रावि, वेगि = " - १९६, १९७, २०७, वीरणाहु = वीरनाथ (म० महायोर) बेचियइ = बेचना -- १४४,
८ | बेटी-बेटी -- ३८१, वीरमदे :
- २७६, वेठि = बैठना - ४६, ४७५, वीर राइ - - १६१, वेठिल = घेर निया - ४५६, वोरु - वीर - ७२, ....... आदि, बेडु = बाल - ३५८, वीरुह = वीरों ने – ७७,
देणानयर = वेशा नगर - १६६, बील्ह =
वेशालए = 1 - १८४,
वेणि = दोनों - ११५, थोस = बीस (२०)- ३९, ..... प्रादि | वेत्रियन = विह्वल - ७६, वीसमइ = विस्मृत -- २६२, वेर =
- १७२, धोसर३ = भुलाना - ५०१,
वेल =
- १७३, बीह - वीथी - ३५३,
वेलि = लता, - १५७, बुजिक = " ......... - ५२१,
वेला – १६८, बुद्ध = बुध – १३,
वेसा - वश्या - ३७, ७०, शुरु = ..........." - ३७,
बलिउE
- २२४, बुवा = ............ -- ४०८, वोधु =
- ३२६। बुला
वोल -
- ३६४,४७६, बुलाइय - बुलाना - ६६१,
बोल - बोले – ५८, १७८, ३०१, बुसि + राजा - ४५२,
बोलण - बोलने - ३४३, बुह = बुधमान - ३७, ४६, वोलग - - ४६६, Jहयण = बुधजन - ५५०,
ऑनहि बोलन1 - ३६८, बूचे = बूचे - ३७८,
| वास्तु = बात - ७३, ........ प्रादि, बूड़ = डूबना - १६५,
| बोले- कहना - ३७६, बृद्धि = " - २४७,
बोले इ - बोला :- ३०६, यूड़िउ = डूबा हुना - ७२, 1 वहिप - जहाज - १८४ बुडिवि = , - ३४१, बाहु = बोध - ६. युड तिहि =
| बदर - चाहना – ४२, १४, ..... ।

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