Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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राइपउ = रायचंपा - १७३, गवत = राजा-४५२, राहण = राजा -- २१०,
रावलि = राजा -- ४२२, राइसिहि = राजसिंह कवि - २००, | [ रासि = समूह - ७, ८३, ११६, राइसिहु = राजसिंह (रल्ह कमि)-८. |
-५२४, राइसीह = राजसिह -- ४३६, राहाइ = रहा - ३४०, राइसुन्दरि - राजमुन्दरी - २२२,
राहु = -१३, राउ : नाना - ४, ........ भादि
| रिसउ - - ५२७, राउमति = बुद्धिमान राजा - ४६३. | रिसहाह - वृपभादि - १, राख = रखी - '४६०,
रिसह = वृष मनाथ - १, राखहि = रखता है - १४०,
| किमि = ऋषि, मुनिवर - ५८, ६२, राखहु = रक्षा करो - ४५६,
पिसोस = ऋषियों के ईग - ३, राखि = छोड़कर - २६२,
री = परी - २०७, राज = राज्य - १२७, ४१३,
रीती = -४४२, राजथारणु = गजा का स्थान - ४०,
रुङ = रूप - ५३८, राजनु- - ४६५, ४६६,
रुदन = -२०८ राजमोग = -५११,
रुधित = धारण किया - १५४, राजा = नुपति - ४०, ४१,...मादि ।
रूप = सौन्दर्य - ४, .......""मादि, राजासई - राजा स्वयं - ३५१,
रूपआ = रूप में – ८३, राजु = राज – ३२.......मादि।
| प निवासु = रूप का निवास - ४१. राणि = रानी .. २६८......आदि
सापरासि = रूपराप्ति - ६, राणी = रानी - २०२......पादि
रूपसुन्दरी = - २७३, रातहि = रात्रि को - '५०२,
पष्टि = रूपकी - ८३, राति - राम्रि -- २१०.२६६.३००,
पादे- --२४१, रामा + - २७५,
हरिण = - ४२६ राय = राजा - २२३......यादि क] = रूप - १००, १.४, रामगु = राजन् - २३८,
रूलइ = हिलना -5, रायाह = राजा - ४८०,
कव = रूप - ४६, ६०......मादि रायसिम - राजसिंह - २६८, हवाल = सुन्दर - १६६......मादि रायसिंह = , - ५४७, रूबड़ी = रूपवती - १११, ११७, समसोम राजा अशोक - २६५, रूव मुरारि = रूप मुरारि - २७१, रायस्यौ - राजा से - २१६, वह रूपवान - ४०१, रालि - डालना - २४१......मादि । स्वहि - रूस की - ११६,

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