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________________ २१५ राइपउ = रायचंपा - १७३, गवत = राजा-४५२, राहण = राजा -- २१०, रावलि = राजा -- ४२२, राइसिहि = राजसिंह कवि - २००, | [ रासि = समूह - ७, ८३, ११६, राइसिहु = राजसिंह (रल्ह कमि)-८. | -५२४, राइसीह = राजसिह -- ४३६, राहाइ = रहा - ३४०, राइसुन्दरि - राजमुन्दरी - २२२, राहु = -१३, राउ : नाना - ४, ........ भादि | रिसउ - - ५२७, राउमति = बुद्धिमान राजा - ४६३. | रिसहाह - वृपभादि - १, राख = रखी - '४६०, रिसह = वृष मनाथ - १, राखहि = रखता है - १४०, | किमि = ऋषि, मुनिवर - ५८, ६२, राखहु = रक्षा करो - ४५६, पिसोस = ऋषियों के ईग - ३, राखि = छोड़कर - २६२, री = परी - २०७, राज = राज्य - १२७, ४१३, रीती = -४४२, राजथारणु = गजा का स्थान - ४०, रुङ = रूप - ५३८, राजनु- - ४६५, ४६६, रुदन = -२०८ राजमोग = -५११, रुधित = धारण किया - १५४, राजा = नुपति - ४०, ४१,...मादि । रूप = सौन्दर्य - ४, .......""मादि, राजासई - राजा स्वयं - ३५१, रूपआ = रूप में – ८३, राजु = राज – ३२.......मादि। | प निवासु = रूप का निवास - ४१. राणि = रानी .. २६८......आदि सापरासि = रूपराप्ति - ६, राणी = रानी - २०२......पादि रूपसुन्दरी = - २७३, रातहि = रात्रि को - '५०२, पष्टि = रूपकी - ८३, राति - राम्रि -- २१०.२६६.३००, पादे- --२४१, रामा + - २७५, हरिण = - ४२६ राय = राजा - २२३......यादि क] = रूप - १००, १.४, रामगु = राजन् - २३८, रूलइ = हिलना -5, रायाह = राजा - ४८०, कव = रूप - ४६, ६०......मादि रायसिम - राजसिंह - २६८, हवाल = सुन्दर - १६६......मादि रायसिंह = , - ५४७, रूबड़ी = रूपवती - १११, ११७, समसोम राजा अशोक - २६५, रूव मुरारि = रूप मुरारि - २७१, रायस्यौ - राजा से - २१६, वह रूपवान - ४०१, रालि - डालना - २४१......मादि । स्वहि - रूस की - ११६,
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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