Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur

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Page 257
________________ २१४ मज्झि = मध्य - आदि, मभूः = सु- २८, मारि = में, मध्य, ६८, २२०, आदि, मड़ड = मुंडी - २२५, ३६५, मडु = मुंडा हुआ - ३७२, मण = मन २१२, आदि मरणमथ = मनमथ (कामदेव ) - १४१, मरणवयकरण = मन, वचन और काय २५.७, = मनु महं = मन में - २२१, महि - २४७, मरि = मन २५, ५०, ......आदि, मस्णु = मन - ५४, ५८, ६४, आदि, मरगु = मन - १५५, भरणू सु = मनुष्य २६४, भत्त = मात्रा, मस्त - २०, २३, मत्तइ = माता से - १४६, - २४५, मतलोगु = मृत्यु लोक - २७, मति = मतिहीण = मतिहीन - १८८, मती मलै = मतानुसार - १४६, ४४०, य ३८४, = मथना मन्दिर = जिनालय = मन = मनपुरी मनोहरु ३०, १५०, २५३, = श्रादि मय = मद - मन भावती = मनि = मन - - 411041 - ALINNI - - - ४२१, ६७, ६८, ७२, ७५, मनोहर - १०८, ३४५. मयण = मदन (कामदेव ) - ६८, भयपदीज = मदनद्वीप - ११७, ममरासुन्दरी = मदन सुन्दरी - २७३, ३४७. मयमतु = मदमस मयरा = मदिरा - ३६, मयसार = मद सहित - ६४, ..... श्रदि, मया भयंक = यन्द्र मरड़ =मरना मरगजमि मरजिया - मरण = मृत्यु मरत = मरता E मराल = - 5 मरु = मरकर ५३६, मरुयउ = मरुग्रा - १७३, - ५३४, मरुहूदी = मराठी - २७०, मरैवि - २०६, श्रादि | मलर = मर्दन - ३६, मलहारि = मन को पूरा ( संतोष ) करने वाली - २७८, - 405, मल्लिनाथ मल्लिरगाह मलिषु = मालिन्य - ३६, मसारिण = श्मसान - मन में - २४०, ३८४, मह = में - ४२०, महयर = महत्वपूर्ण - ३६०, = = -- २२१, • २०३, - ४३, ३१५, मरण मरहि * मरना १३८, मराउ = मरजाऊं -१५६, = 1 १६२, १, २६१, ३६५. ३२२, wha 1 हंस - १५. मरि = मरी - ३६ ४४६, ५३५, ५४६, २६ - ४४५ - ५२४, ७. २२५, ३६५,

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