Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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मुजदंड - बाहु - ३५३,
'मोलउ = मोला - ४०८, भुजंगु = पर्प - २२४,
भंग = विघ्न - ३४६, भुपमास = प्रकाश -- २३२, भंजणु = मंजन, नष्ट - ३४६, मुत्तउ -
- २२७ 'पण! : महमा ..., भुयगु = सर्प - २२७,
मंडारह = भण्डार को - १३३, भुवरण = भुवन, जगत - २२, प्रादि, . भंडारिउ = मंडारी - १३३, नुव बल = मुजाओं का बल - ६५, ममापाटण = मू = मूमि - ३४६, मुख = मुखा - ६२३, ५०२, मजिउ = भौगना - ३७६, म :- नहीं - ३०३, ३०६, आदि, मूनाल = गजा - ३२७,
मइ :- मेरा - १६, ४१, ...... प्रादि, भूलिवि=
-७३, मगल = मद गलित - ४५१, मूवरणाहि = मुवन - ३.६०. मइमेहा = मतिमेध - ५०६, मूचित = भूषित - ४११,
मद्दल = मलिन - १६८ भेउ = भेद - ५२, ...... आदि, मउ = मद - ३६, भेजत -
- ४५७, मउरण = मौन - ३६७, ४६१, भेट = भेंट - ३२४,
मउगवउ :
-४६२, भेटरण = भेट - २६३,
मउरउस = मुकुट बिना - ३६. भेटरिण - भेंट के लिये - ४६४, 1 मकार = 'म' से प्रारम्भ होने वाली भेडक = भीरू - ३५३,
चीजों के नाम, मक्कार भैय = भेद - २८८, श्रादि,
(बदमाश) - ३९, भोग -
- १२०, अदि, । मखरु = मोगमति = भोगमती - २:३२, मगधदेश -
- ४५६, भोगव - भोगता था - २०२, मगर - ३६७, भोग विलास नि = भोगविलासिनी - | मगरम छ ८
- १६४, २७४, | मगह = मगध - ३१, भोगहि =
। मचकुद =
-१७३ भोगु - भोग - १६६,
मच्छ =
-१९५, भोजन = -५०२, म = मच्छ - ३६७, भोय -
-५१२, मछरु = मत्पर - ३६, भोयरग = भोजन - ३७२,
महिदु = मछंद - ३६, मोलइ = मोला - २११, | मज्ज - मद्य - ५१८,
- ५०७

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