Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur

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Page 221
________________ कडि - कटि -- ३७५ | करणा. एक प्रकार का मीठा नीबू केडियल - कटिस्पल - ६४ १७१, २७१ कढ़ाउ = निकलाना - ४७७ करतउ = कर्ता - ४२३ करण = अनाज - ३६, ४७ करतार = स्वामी - १५.७, ४१४ कम्प - स्वर्ण - ४४४ करंट * करण्ड - २६० करणः = स्वर्ण - ४६५ कहिउ = ऊँट पर सवारी करने करणय = कनक - ३०१ वाला - ४०१ कण्वजि = कन्नौजिनी - २७० कागा = दया - ६८, ४५ कत - कहो, क्यों - १५५, २४४, ३४३. कलस = कलत्र (स्त्री) - ३६१ कत्थ = कहाँ - ३४१ कलमली - कन्ट - ४४ कतहुरा = कहाँ ३२४ कला = २४, १०७. आदि कति = कैसे - १५६ कलास = कलश - १२५. ४४३ कथा = कहानी - २१, ६६ प्रादि । कलि : कल - ३४१ कथंतर = कथान्तर - १२७ कलिमलु = पापमल - ५४, १६ कदली = केला - १ कलिमलाइ = घबड़ाकर - ३१० कदाण - कदन्न - ५३३ कली - कली - ६५ कन्य' - कन्या - ३०० कलेऊ - कलेवा - ४१२ कन्या = पुत्री - २८३ फलोल - - ४५५ कन्होदे = रानी विशेष का नाम - २७४ कल्लोलु - प्रसन्नता - १२३ कपटु = कपट - ३०७ कल्हि - कल - ४६४ कपाल = - ३७८ कत्र = कवि - ८, २२, २९ कपूर = + ४१२ कबड़ - कपट - १८ कपोल - गाल - ३७८ कपड़े = कपट - २६३ कमल = - १४, १७४ कनगा :: कौन सा - १५४, १६२, कमलादे - - २७३ किस १६६, ३१६, ४२५ कम्मू = कर्म - ३२१, ५१७, ५२८ | कवणाई - किसी ने - ७५ काम = कर्म - ५३८, ५४७, ५४८ कवणु = - १०४,१४०,२६२ कय = के, क्रय - ३६, २०१ फपित्य = कैथफल - १७२ कवि = किमी को - ४०३ कर - हाथ -- १४८, २२७ । कवरणे - किसीका - २२२ करई = -- ४५, ५०, ५१ प्रादि । कयस3 = कंस] - ३६६ करकंकण = हाथ का गहना -८४ | कवि = -६०, २६६

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