Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur

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Page 252
________________ पुरी - नगरी - २७, ....."अादि | पूरया = - १२६, पुरु = पुर, नगर - ३६०, ५३० पूरिउ :- पूरे - ६०, पुत्र = - ५३४ पुर्ण = पृri - ४४३, पुष्प = फूल - १६८, पूर्व = ..... - ४३०, पुष्पयंतु = पुष्पदन्त - ४, पूय = पिता - १४२, पुहम = - ४३२, पेखत = -१५५, पुलमि पृथ्वी - ४५, मेखि = देखना - २२, १७८, ९२२, पृहमिहि = पृथ्वी पर – ५१०, पुहिम = पृथ्वी - ४२१, पेखियह = देखी जाती थी - ३५, गुछ = पूछ - २२८, ३५५, ३६६, पेट = ........''"" - २३५, ३२४, पुछड = पूछना - ११०, ११४, पेटहि = पेट में - ............. ११६, १४७, ४२२,...'"आदि, । पेटु = पेट – ३७७, पूछः = पूछना - ३३६, ३७६,३६६, | पेठियऊ = भजना - ५२१, ....''आदि, पेरियउ = पार करना - ३६८, पूचरण = - ३६९, पेलि = पेल कर पूहि = - ३२६, ३६०।। पेसियउ = प्रवेश करना - २२२, पूछियइ = -२१३, पोटली - ............ - २४०, २४१ पुटित = पूछने पर - २१३. २४२, २४३. पूट्रिपल = पूछा - ३२०, पोटी = उदरपेशी - १४, पूज - पूजा - ६२, १६८, १८६, पोढ़ा = प्रौढ़ा - २७८, पूजण = पूजन - २६७, पोमिरिणवा = पद्मावती - १२, पूजि = -५३१, पोरषु = पौरुष – ३६७, पूजिउ = .........-५३०, पौरुष = 'पुरुषार्थ - ३६२, ३६८, पुजिजाउ = पूजा की -- ५५, पंच = पांच प्रकार - १२०,..."ग्रादि, गुजित - - ५३७, पंचऊलीया = पंचोलिया - २६, पूत = पुत्र -- ६१, ६७,....''प्रादि, पंचकाप = पंचास्तिकाय - ५२०, पूतलिय = पूतला - ३६२, पंचदस = पन्द्रह - ६३, १५०, पूतली = स्त्री-८०, पंचपय : पंचपरमेष्ठि - २५१, पुतह = पुत्र – ४६, पंचपरमेटि = पंचपरमेष्ठि -- १८६, पूतु - पुत्र - २६, ४७,..... प्रादि, पंचम = ५, - २६, पुय = पूजा - ५४, पंचमगइ = पञ्चमगति (मोक्ष)-२५२. पुरविणी = पूर्व की - २७०, पंचमनम्वर = पंचमहायत - ५३८,

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