Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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२०८
पास-५३१
। पुठि = पृष्ठ- १५, पाहुड़ = उपहार- ४६७,
पृरा = फिर- ४५, ४४८, .. पाहणइ = पाहुना- २२३,
पुरिव = फिर- २२६, २५५,.... आदि पिउ = पति- ४.०, ......... अादिः । पुणिक = फिर - १५३ ।। पिउ-२ = प्रिया-२ - १५५, | पुरण = पुनि - १, २४,......यादि पिछोरड़ो = पीछे- २३५.
पणं - पिरणु = फिर- २२८, २६७, पुरण पुणू = बार बार - २८, ४०१, पिता = -१४८,''.- आदि । पुरा वि = - १५४ पिय = प्रिये-- ३८, १५४, १५६, पुष्भोग = पुण्य से - २५६
१५६,''' .." प्रादि । पुण्ण = पुष्प, पुण्य - १२५, ५३३ पिय सुन्दरी - प्रिय सुन्दरी- २७८, 'पुरा फल = पुण्यफल - २५६ पिरधी = पृथ्वी- ३५.६, ४०३, पुण्यवंत * - ३६२ पिरथी रा६ = पृथ्वी पत्ति- ४०२, पुतली = - ८२ पिनिवि = धकेल कर,- ४०३, पुस :- पुत्र - २ पिवहि = पीना- १४१,
पुतह = पुत्र - ४८ पिहिय - पिहित (ढका हुआ)- ३६, | पुत्तार = पुतली - १० पिंडखजूरु = - १७१. पुत्ति = पुत्र - २२२ पिंडथु - पिंडस्थ- ५२२,
पृसिह - पुत्री – ३५६ पिडरी = पिण्डली- ६२,
पुत्त = पुत्र - ५५, १८०,...... आदि पीठ = कमर- ६८,
पुनि तौ = फिर तो -- १२४ पीठि = पीठ- ३४७,
पुन = पुण्य - ५०६ पीठ =
- ४६, पुत्रवंत = -५५२ पीछे - -४६३,
गुर = - १५२, १६३ पीड़ि = पीड़ा-४,
पुरज - पुत्री - १९ पीता = ............ - १८५, पुर.ए - पूरे करना - ४१४ पीपस्थगि = उन्नतपीन-६४, पुरखंड = -२६० गोपी - पापी- ३६४,
पुरर्वाह = पूरते हैं – १३६ पीपली = ............ -- १७२, पुरारिश = - ५४८ पोत्र :- ............ - ४४६, पुराणु = -२, २०, ५५० पुष्टण = ........ ' - ४९१,
आदि पुज्ज = पूजा कर- ५५,
• पुरि = - ५२७ पुज्ज- पूजा करना- ४५, पुरित = पुरुप - १३८

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