Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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पहुंत
पहुंचना - ३४०,
चाय = पैरों को- १०, १६, पाइरु = पैदल- ४५,२,
पाइयई = प्राप्त करना - १४३,
पाइप = पालन किया- २५४, पाइलागि = पैरों पड़कर - १७५, पाइसइ =
पाई =
२६६,
पायी जाती हैं- ३१, ६१, २३१, पाप- ४३८, प्रादि,
E
पाणु पालकी
=
- ४३४,
आदि
पाकउई = पाछइ = पीछे - २६४, ३०५, पाट = सूती वस्त्र- १०३, २६१, पाटण = नगर- ३४, १६०, १२. पाट = पाटन, नगरं- ३३०८.
पाटलई = रेशमी वस्त्र लेकर- १८४,
पायल =
पाठ्यउ = भेजा है-- ५३६,
पाउल = पाटल- २६, १७४,
पाण = पान, हाथ - ६१,
पाण = बाचाल- ३२२, ( श्वपच ) - ३२४,
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=
............
=
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पानी- १६४, ३६७,
पारिण्उ पाणिउ सोखणी = पानी सोखने वाली
- २८६,
पान = पानी, - ३२४,
"श्रादि
-
लाम्बुल - ५०२,
ܐ ܕܣ
५४५.
प्रारूप - २३३, ३२३, ३२५, पापी- १४०,
पाप =
******** =
पारिणी २२०, ३११. पापी (पाप करने वाला) मगरदत्त
२४०, ४३४, ४१६
पापीया =
मरिनोच ३१,
पाय = पैर- २२, २५५.
पायालगा मिरणी पालालगामिनी
पार =
सीमा- १६४,
राशिपरी ४६,
पारा प्राण- ३५४,
पालना- ४२,
पालइ पालक = पालने वाले - ४४,
पलंग- २९६,
पालहि = पालना- ४२, ५०५, पाहु
- ५११,
पत्रि
परलिज पालन किया- २८,
पालेइ - पालन करना- १५८, पालक = पलंग- २२१,
2
=
पासु
=
पावउ = पान- ४१८, पावह पाते हैं - ५१०, पात्रै =
=
२०७
२४०, २५५, ४४,
- १४३, २४६,
=
=
=
- ७२, पाषाण = पत्थर- ३३२,
=
पास = निकट- ४५, १३४, ३७०, पासवाह पार्श्वनाथ-८,
पासि
१३५, ३५१, ३२३,
- ५३८, ५४७,
आदि
२८७
पहि - उपहार- ४६४,
पाहण = पत्थर ३१३,
पाहरणमय = पाषाणमय - ७८.
पाहण = पत्थर- ३३३,
पहि
पैरों पर,
= पान- ३०६, ३१०, ३७६,
४५६, ४८४,
४५२,

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