Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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पयपंच = पंच पद (पञ्च परमेष्ठि)- | परमप्पा = परमात्मा- ५४६,
२५३: मरमर = परमपद-५२१, पयार =
- ५२४, परमेठि । परमेरिट- ५२, ४७३, पयासहि = प्रकाशित- ३७१,
४८७ ४६३, ४६४, पयसित = प्रवेश होकर- ३५४, परवारिस - प्रमाण- १०३, पथी = पैरों में- ६२,
पखालि = बोना-५३५, ५४७, पयंड - प्रचण्ड- १६४,
परलोप = परदेश- २२२, पर = अन्य, लेकिन- ४२, ४७,१११, | परसई = स्पर्श करना-८,
परसन्नी = प्रसन्न होमो- १६, परोभिय = परदेशी- २२३, | परह - दूसरों की- ५०, परकम्म = परात्राम- ३६२, परहस = प्रसन- १४५, परखि = परीक्षा-८१,
परहसु = परिहास- २२२, घरछण = छिपा हुपा-३७१, पराई - दूसरों की-- १४१. २१४, ३६१, परछन् = प्रछन्न, छिपकर- ३०८,
पराण = प्राण-२५२, ३०४, परजा = प्रजा- ३५, ३६६, ४७१,
३१४, ३५७, परठ - प्रस्थापित किया- ५७७,
| परि = गिरना- २४१, ४०२, ४६७, परराय = भेजना- ४२२,
परिला = खायो- ४५८, परणाई = विवाह करना- २३६,
| परिगहु = विश्वास- ३५०,४६०, परणारि = परस्त्री- ३५,
परिजा = प्रजा- ४५६, ४५७, ४५८ परणी = व्याही, विषाह किया- ३६०,!
४५०, ५०५. परणे इ = विवाहना- ३८०, परिठद = रखना-३३४, परतह - प्रत्यक्ष- ३२,
परिठविउ = परिस्थापित- ६६, परतिय = दुसरी स्त्री- २१४, २५७, । परिणाइ = परणाना- ३४६, ३७२, परतिषु = प्रत्यक्ष- ४२४, । परिणाई = ............- ४४४, गरतीर = समुद्रपार-- १७६, १७६, । परिणाम = नतीजा- ३७६, परतु -
- ४२७ । परिणामु = नमस्कार- ५१५, परतुम = प्रतोष, मन्तोष-३०१, परिणावहि = विवाह करो- २५४, परदयह = परद्रव्य-६८, परिणाविय = विवाह किया- २८५, पर देश
-४६२, परिणिय = विवाही- ३६०, परधान - प्रधान-- १८८, | परिरणेई = परणी, व्याही- २५६, परनारि = परस्त्री- ६८,
परितहि - पड़ते ही- १६६ परम -
. परिपुण्ण = परिपूर्ण- ५०६,

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