Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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डु शीघ्र ४२५, ५३८, ५४६
--
छुरी
छुहारी = छुहारे
=
-
=
=
छूटउ छूटना - ३४६
ऐली = बफरो
३७५
छोला
जो
=
-
- १८३
+
छोड् = स्नेह - ३२६ छोड ओम - ३४४ छडि छोटकर छंदु छंद - १४,१५, २०, ३२८ ज६ = जो, जैसा, यदि, जब,
१५४
=
- २०
२३. ११८, १३१
१४२, १६६. १६७, २१६, २४७, २५२, ३१६३०५, ३३५.
४८०, ४३७, जाकर, ३८३, ३२, ३३३, ४१२, आदि
जगवि
- ३५१
जती = जनी जैनी
"
जइयह =
जयहु
जहर -
- १७५
जइवी जइसे = जैसे
३४, ४१३
- ४६५
जइसइ = जइसवाल = जाति का नाम जह जउ = जभी - ३५५
= जाकर
२६७
=
-
H
-
-
-T
-
1
-
- ६५, ३६५
-
मই
-
३३, १७१,४७२
४५४
जक्स = पश्त
११
जक्खिणी यक्षिणी
- ३३१
-
-
W
- ७३
YE
-
जगरणस्थ - जगन्नाथ ६
जगगाह
११
जगत् के नाथ
-
जरि ३३६, १४८,
-
३
| जगत्तय = जगत्त्रय
जगमगंतु = जगमगाना
=
= ६ क
जगु जगत्त ज्भति = शीघ्र
२६
जरा जम
जरथ =
जरारिंग
परी
- माता
1
उभारण = ध्यान
५.३०
जड़ित = जड़ी हुई - १३४
जडिय
=
=
H
ज 时
Sw
जयदत्तु
जयभित्त
जयसारु =
F
-
-
-
-
A
पिता
जानने पर
1
-
जगण
२३०
जस्पाइ जगाबइ = बताना = ४६७ मत
२६६ ज स्पिड = पैदा करना ३८८ जणु =
जदुहव यादव -
जन =
૪૦
२२ आदि
२५
१५४
→
-
३५
-
जनमु
- जन्म - ४२४
जपत्र = जपना - ५२
जम = यम
१२
जम्मु = जन्म जय =
जयकारी
—-
२२३
५
-
-
५६, ३०५
- १
जय जय कार ३३०
• ५०५
जयजयकारु = जयजयकार - ३५.६
- ५०६
४६६
४६१
२२३, ३१५
२६१
—
9, 8, 59,
जर = जरा, बुवापा
जरा = बुढापा - ५१६
- ५०८
-१०
&
ܝܕ

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