Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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२५६५
घरहु = - २३७, | धूपइ - -१५५, घरा = धरकरके - २७,
धूलि = - ४५३, धरि = धारणकर - ६,... आदि-२, ! धूव = घूप - ५३, घरि धरि = ...... - E७,
| धोयति = धोती - ३२५, धरिउ = धरी, पकड़ी - ३८५, ३६०,
न ५४०,......"अादि,
! नउ = घायः = धाड़ मार कर – ....."
- ५०६, ५५२, चाहहि = दहाड़ मार कर - १५०,
गारी :: गुती - ४७, धाडि - ........ -- ४७८,
नट -. - ३२८, धारणुक - धनुर्धर - ४५२,
नट = खेलना - ३२७, धाधू = - १८५,
नट गट = -६६. बार - दोहकर - ७६, ४५१,
ननादी = खेलने - १२६, धारावधग्गी = धारा बांधने वाली -
नगउ - नमस्कार करता हूँ-६,२७,
नमिउ - नमस्कार करना - ७, वाव दौड़ना - १५५,
नयम = नयन - ११७, चावही = दौड़े - २६१,
नयगु प्रांखे – १५४, २०८, २४६, बाह - घाडमारकर -३१०,
नयर - नगर - ७३, ८६, १८६, घिउ = धी - ४२४,
३०८, ..... आदि, घिय :- लड़को -- २२०,
नयहि :- नगर - ४७३, ४५४, बीड - कन्या - २१०,
नयरह = नगर में - ३४८, ४७८, धीजहि - धैर्य देना -- २४६। नयरि = नगर में - ४७४, ४७८, धीय : लड़की, पुत्री - १०६, १११, मय = नगर - १०८, ....... आदि,
११२,..... अादि नर = मनुथ्य - २११, धीयउ - लड़को - १५०,
नरक = - २४६, घीयह = पुषी – २८२.
नर नारि = - ७३, धीर - धर्म रखने वाले - १३८, नरनाह - - ४७०, मोह = - ४६६, नव निहि = नवनिधि - २०२, धीरे :- धीरता पूर्वक -- १३६, नरयह = नरक – ४४६, धुससती = ध वसती - ५०६, नरयहं = नरक में - २२४, धुजा = ध्वजा – १६१, १६३, नरव = नरपति - ६६८, धत = धूर्त - ४१०, ४१३, नरवत् = -४६६, धप
-१७२, . : नरमा - न रलोक एवं मुरलोक

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