Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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fing[गद == सुरगोहि =
- ४६,
पिदियइ = निन्दा करना
=
गींद निद्रा ५०२,
गोसरु
= - ५१७,
= नन्दन
द रणं रण कारु =
लग्जि
तणिया
तणी
=
=
४२३, ५३६
७७,
मना करना
त
तइ = तूने तो - १०७, २२२,
- ३१५,
तेहरु तउ = तो तन्त्र- ७३,७४, १०६ ११६, ----- श्रादि
तए =
- ४७०,
तक्क, तक्कु = तुर्क - १४,६४,५२२, तबकते = ताकते हैं - ६८,
साई = विश्वास करना - ३४६, ३६१, तरगड, तऊ=
- ६७, १८३,
- ५९४
C
=
सो निफल - २६०
=
रगु - नहीं - ३०५, मि नेमिनाथ मेरि ऋत ( दिशादेव ) - १२ तलिनी
=
८,
7
-
-
-
关心
-- ५०,
- YOR
=
तरण | = तने
३८६,
= का - ३२,
तथ्यों तत्श्रु तां - ३४५,
-
३८१४०१, ४८२,
तरह ] - ९३,६६,२१३,२३८, ३६५ ३८५, ४०४,
तनो
- १००,
१२६.
तपड़ = लपना है, चमकना
ना
लप
1
१ नरा
-
तरणी = सूर्य- ४५ ३, तरिवि = वैरकर - २५६,
--
=
तरु =
Ladk
तरुवरु = बड़े- २ वृक्षों को
तल = तट, तले, नीचे - २६३, २६६,
३४७,
४८. से है, ५१२,
- २५४, २६२,
तस = उसका २,
तसु = उसकी
तह् =
१८२२६,
तव = तप - ४३७,५३८, ५३६,५४०,
तव, तवहि = - ६६, ८२, ४५७, तबु = उसी समय - १०४, यादि,
११०,
तवोलु = ताम्बूल-पान - १२४,
-
=
=
-
- १३३, ४३६,
A
२४,
૨૩
तह
- ५२७,
तहाँ उसी स्थान पर - १३२, १३६,
=
१६०,........आदि
तहि = जहां ] - ३०, ३१.
उसका
४६, ------ आदि,
- १८, ३७, ४०, १२५, "आदि,
३४६,
-
"मादि आदि
तह = तो
१६२, २१६, ग्रादि,
तहो
- ६०.
- ५२८,
नाउ = ताडइ = ताडना - ३६६, तारिश = उन्हें - ४२०० नात = पिता
१४८.
ताना = तात
Yoo,
तापहि उससे - ५४२,
-
...आदि

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