Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur

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Page 239
________________ १६६ सोलु - मूल्य - ...... भाषा = पोकली - २८७, सोहि - सुझ से - १७, ४८, प्रादि, तोही = तुझे - ३४३' सौ = तो, तब – ७३..३६.२, टट -- देकर - २, १८६.३६३.४७८, तौहि = तुझे - ३५४, दइजू = देना - ३०३, सं - उसको - १५२, दइय ८ देव -- ४८२, तसरा = उसी क्षण -८१, दइया = देव – १५५, तंखिणी = तत्क्षण - ३२७, दइवि = देव - ३१३, तंत-मंतु = तंत्र-मंत्र - ६५, | दरम् = द्रव्य - ४१५, तंद = - १३६, दाणु = दपं - ७, तबोल = पान - ६१, ८२, २१८, दप्पू -- दर्प - २२७, तंवोल = पान - ४१३, दमइ = दमन - १५८, तुग + ऊचे – ३६, दय = दया - ६, ५२५, दया = - ४२,४३, ५१७, दयवंत = - ५३६, घका = उसका - ७५, दयवंत = - ५४, थक्किा - थकना - १६९, द्रव्य = - ४४६, थाट = ठाठ - ४५४, दरसारणदे = दर्शन दे - २७५, थाइस = स्नड़ा - ५३१, दरमन = दर्शन - १०१, धरण = - ५००, दरसिणी = दशिनी - २८८, थाकइ = अकना - २०७, दरसहि, = दिखायो – ३२०, थाटु = साट - २८१, दल - सेना - ४५२, ४६०, ४६५, याए = स्थान - ६, दबड़ी = द्रविडी - २.७१, थारण = स्थान - ११, दवरगो = - १७२, थापि - -४४६, दस्त्र = द्रव्य (धन)- ७१,१३५.५२०, थापित = स्थापना - २६८, दनु = द्रव्य - १३०, १३१, १४ श्रापियो = .......-- ४२६, ३३८, ३८७, ४०६, ४११ थापे = स्थापित किये - ४४३, । दविणमित्त = - ५०८, भालु = ४६७, १ = स्तुति - १६, दमापुर = - १३६, बेई = मिली - २८८, दस = १० - २७, १३६, बोगवहि = - १८३, दह = दश - ४१५, ४३६,४५१,४५२, दश =

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