Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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१७६
उतरि
उत्तर
- उतर
= जवाब
ি
= उतना
३२
४५६
उत्तंग = कंत्रा उदहिददतु = सागरदत्त सेठ का नाम
- १७६
उन
उन्नति
उद्धरख = उद्धार
उद्दिषु उससे
=
→
=
-
-
पगार = उपकार
सम्पण = उत्पन्न
उपष्णु = उत्पन्न उपप्लो
उपासु
उर
उद्यम
१३६
कहना - २१३
उपगई : पाना
उपमावे
-
उरण
मादे अरबसी
उन
उरि
उवघार
૨૨૯
-
५०६
५०६
= उत्पन्न हुआ - ५३६
२६२
- २७१
२५.१
उपरणु = ऊपर उपरहि = कर उरवारि = उखाड़ना
पाइ 1
उपाउ उपाि - उखाड़
उत्पादि
= उत्पात
= उपवास
उऋणा
-
७२
Ma
-
-
-
-
२५०
२६३
- उपाय - १४५
३४५
-
+
१४०
२६७
Jud
. ४११
५४६
-
355
३४६
१३४
२५
२७३ उर्वशी १
-85'9
६४
उबरना
= उपकार
1
1
३४५
२५
उवर = उदर
उबरहि =
उवरि = उदर २७
ऊपर
४७०
=
वह =
उहकी
खहारण
उहि
उव्वरिंज
= बचना
उयहिवस = सागरदत्त सेठ का नाम
उदाच = उपाय'
उघारि
= द्वार
उसरि
JAJ
=
1
-
वहिद
उहदस
उवहदत्त - -- १७६, २४० उवहि उदधि - २४६, २८३
१५.१
४६५
=
३६६
उड्डु = उस =
ऊगयो
=
-
= अवसर • ४६३
-
- २१६
4
४८७
ऋ =
shy
= उसकी
'७'७
२१० - दूसरा
ऊचालि : बुरी बात
ऊचे =
ऊज =
ऊपर =
कपराष्ट्र ऊपर
कारि
उभे
२४५
- १७५ १७८ । वि
२३४
4
अदित हुआ - ३०७
२४५, ४४७
-
Jud
- २२०
- ३१०
- ४४५
- ३४७
LLB
हर
• ६६, ११
खड़े हुए - २८४
ऊसर - श्रीसरा २०५, २१, २२०
पारी
२४७
सरक= पारी - २१२
-
ऊसारि
-
= उच्चारण करना
ऋषि, साधु
४५
7
४६

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