Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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मात -
गवाई -
- १२५, २८०, ३२१ गनु = गवं - ५०, ३८७
गीतु - गीत - ६० गवेकिंउ = तलाश करना - २२२ गीद्ध = - १६२ गस हि - असना - २२१
गीय = प्रीया -१६
गुटिका = - २८८ गहगहइ = गदगद - १७७, ४४८ । गुड़ी = - ५०३ गहगही = -१६४
गुगण = ७, ४५, ३०६०, प्रादि महगहे =
गुणगा = - २७२ गहवरह = व्याकुल होना - २७१ मुरारिणहि = गुणनिधि – १५ गहिउ - - ५६४ गुरगदत्त - - १५० गहियाइ = टटोलना - ३८४
गुणपाल = -- १८६ गहिर = गहरे - ३४१, २५६ गुणमित्त = गुणमित्र - ५०८ गहिरउ - १६५ गुरणारा
-५२७ गहिरी = गम्भीर - ३५६
गुरगकई = गुणवती – ५३२ गही - -३१२
गुणवइ - गुणवत - ५१ गहोर - गम्भीर - १३८
गुरगवाल = गुणपाल - ८८ गह - दुख, आग्रह - ४०८,३११ गुणि -
- १३६ गहो - लिया - २६८
गुमोद = - १५८ गाज - गर्जना - २३, ३५६
गुणंग = गृण सम्पन्न - ११८ गाजइ - -१६५
गृणाहि :: -१२ गारि - मांठ - ५७
गृपत = गुप्त - ३०८ गाम - ग्राम - ३३
मृपत्ति = छिपी २५५ गामिणी - गामिनी - २८८ गृपति निहा.- गुप्तनिधान - १८८ मरत - शरीर – ३७२,४१४ गुम = - ३४६ गादह - गधा - ३७४ |
गुर = -५१८ गाल - - ४७७
गुरु = वृहस्पतिवार – २६, ५५, ३६० गालि - गला देना -५४६
गुसइ - स्वामी - १५६ मालिउ - -५१७ | गुसाई = स्वामी - ३२३ गालिवि – गाली - २२७
मुसाईऊ = स्वामी - १५७ गावहिं - - ६०, १२५ । मुसाइरिगदेवि = गांस्वामिनीदेवी - १६ गिर - पर्वत - २२७
गूगरि = मूजरी - १३० गिरि - - ४५२ | गुड : मूडी - २८॥

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