Book Title: Jindutta Charit
Author(s): Rajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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________________
पहि
अपुग
अनु ]
अप्पाणउ
-
मल =
अमिल
=
अपार =
फौ =
अबूझ = अज्ञ प्रत्यंतरि = अंतरंग
५५१
=
अपने
कुमार्ग
-
-
-
-
४४६
—
अपने
४०६, ४५८
अमर =
५५१
अमरउ = आम्रवाटिका
श्रम इ =
४७०
अभिडत = भिटना अमोर = प्रयोग ५११
१८५
-
-
—
-
-
—
निर्मल
अमृत
२४
हमारा ४००, ४०३
ब्रम्ह ब्रम्हारी
= मेरी
३६१
अम् = यंत्रे = १५४०२
TTM
-
-
—
-
हमारा
महि = हमारा प्रमुल्ल = अमूल्य
श्रयसउ =
ऐसे ही अयागु = अज्ञ श्रयासि = अकाल
घर - और अरथ = लिए भरर्हेतु = श्रर्हत् श्ररि = श्ररिकम्म कर्मशत्रु – ७ अरिमंडल = मात्रुसमूह = श्ररनाथ तीर्थकर
४०३
प्रस्
३५, ४५३
१५७
-
-
-
-
५२१
१४
--
_३२२
१४३
g
५३,
२३१
२६५
२२५
३२४
१६५
५४,५१७
४५५
-
७,
अरू = और- १०, ३५, ७०, आदि
अरुणेव
= अरु.
लाल
५
अरे
= -
=
४०१, ४७६,
प्ररथ = द्रव्य, धन ४४६ ४७२, अर्थ - १३७, १३८, ४४६,
-३७२,
प्रलखणु = लक्षण रहित
अलहादी प्रसन्न
५८
अनि ुলि
अलिय =
अलेज
५२२.
ग्रम
अब
४८३, ४६६,
प्रवहु अब ४३४
अवधारहु धारण करना अवधारि
३३७
बषि
1
=
-
=
H
=
२२८, २६१, ३५.४,
= भ्रमर समूह
४२८ लेप रहित ५२, ४४२
-y
=
-
-
छोटे
और
—
-
-
अयस अवसर अवसर
J
३८०, ४३७,
अवर
और
५२५
अवरहु अवरु = ओर - २.६३,६८,११५, आदि श्रवरुषि = और अवरति = विरक्त अबलोवाला =
- a
अवश्य
-
-
—
TT
-
-
२७८
-
-
२०३
६६, २८६
१११,
**
अवसरु = अवसर
अवसारण मृत्यु अवसि = अवश्य अवश्य ४८३
अबसु
प्रमुख
दुख ३०५
-
१७१
1
५२५
४८२
-
३४२
३४६
४६८
८२,११६,

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