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मगध बन
सरण सीमा सत्यवई, सत्य सर्वर सुहसार
सुव्बास सील वसंतपुर, छहि उवीस सकार 4
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अर्थ:-सकार के नाम व्याली निम्न चोदोस जातियां बसंतपुर में निवास करती थी :
सुर, सामी (स्वामी), साहू, सोतिय ( श्रोत्रिय), सरि, सरवर, साव ( श्रावक ), सव्वल, सारंग, साहस, सिऊ, सोहा, सहियरण, सिरि (ख), संत सहिगरण समारण, सीमा, सत्यवs ( सार्थपति), सत्य (सार्थ), स्वर, सुर (सुखसार), सूत्रबस, सवेल, ( शील) 1
मोह म माथु मture 1
म मरि मार भरविणु, मलिणु मल
मह स ममरासहि उतहि, मध
तू मुसरण मंगलु वर, जहि ग मल जल मोनू भरखर ररुह सु बसंतपुर, वीस मकार विहीणु ॥
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जहि कवि सोस । मचरण दोसई ॥
नोट :- इस छद के पाठ में कुछ मैल
कवि सीस' चरण ३ के भवरउरण दोस
अर्थ:-रह कवि कहता है कि बसंतपुर में, मोह, मत्सर, मान, माया, मद, मरी ( एक रोग), मारण, मरर्सवरण, मलिरण ( मासिन्य), मलन ( मन ), मधु, मांस, मदिरा, मविन्दु ( मच्छन्द), मउरण (मुकुट बिना), मुढ, मुसरण, मंगल, भवर तथा मीन सहित जल ये बीस मकार नहीं थे ।
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लगती है चरण २ का 'जहि के साथ श्राना चाहिए ।