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गामि गामि वाडी
धम्मु विषे गरु भोषणु
अर्थ :- जहां पर गांव गांव में बगीचे एवं अमरायां थो तथा जैसे नगर थे वैसे ही वे स्थान ( ग्राम ) थे । धर्म-कार्यों में ( वहां के ) नर (लोग) भोजन ( श्राहारदान ) देते थे तथा बेची हुई वस्तु का दाम नहीं लेते थे अथवा दाम देकर कोई वस्तुएं नहीं लेते थे ।
भोयर - भोजन ।
पाटण
वादी - वाटिका नगीना ।
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मगध वर्णन
L २४ J
अंबराड़, जहसे पाटण तेसे ठार । देहि, वाम विसाहि न कोई लेहि ॥
पत्तन -नगर 1
असण्ड मरासिम को बगीची । विसाहिविमाहि-विमाधित- बेची हुई वस्तु ।
[ ३५ ]
पोक कूल दंड तहि चर, प्रभुणइ सुखि परजा व्यवहङ्ग चोर न चर प्रांखि देखिये, ग्रह परगारि जरिए पेखि ||
ग़ाँ करु अपराधी । लूटेरों का एक प्रकार ।
पेन
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अर्थ :- जहां जो अपरात्री और कूट [दुष्ट ] होते थे उनके लिये दंड चलता था और प्रजा अपने व्यवहार [ दैनिक जीवन में मुखी थी । चोर चरट कहीं भी नहीं दिखायी देते थे तथा पर स्त्री माता के समान देखी जाती थी ।
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कूड - कूट- कुटिल, दुष्ट ।
-प्र + ईक्षु-- देखना ।
३.६ 1
१५
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मगह देसु भीतर सुहि सारे धरण करण कंचरण सव्य विपूर,
चरडु - चरट
वासव सुरह महिउ सो चाह । मंदर तृग पिहिप कप सूर ॥