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बौने के रूप में
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अर्थ :- (बौने ने कहा,) “विदेश (यात्रा) की बात मुनो; ए स्त्रियों तुम मुझे (इस प्रकार) क्यों मार डाल रही हो (तंग कर रही हो) ? तुम्हारे दुःख में मुझे सन्देह है इससे मेरी देह कुबड़ी हो गई है ।।४०४।।
और अब मैं अत्यधिक (दुःखों की) घानी में पड़ गया तो मैं बौना हो गया । तुम्हारे वियोग से अत्यधिक दु रन में मर गया इसलिये देह जल गई और बांह खोची (टेढ़ी) हो गई ॥४०५।।
निसुभ L गिसुभ -- नि – शुम्भ – मार डालना । घाण – घानी, कोल्हु जिसमें तिल प्रादि पेरे जाते हैं । पा/ पातिन - गिरने वाला।
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४०६-४०, ]
तुम्हहि लोगु दुख भयउ महंतु, बइठे जाडू निकले दंत । परिहसु लियइ हिपई विलखातु, कहइ वावरणउ हो जिलदत्त ।। लए जु हाकट फइसे संत, सउरा न्यों मिलहि न वात । काल्हि जु छाडि गयो वड', सो कि मागु भयो कुबल ।।
अर्थ :-(बौने ने कहा, तुम्हारे शोक में मुझे अत्यधिक दुःख हुमा इसलिए गाल बैठ गये और दांत निकल माये । हृदय परिहास के कारण विलखता रहा इसलिए जिनदत्त बौना हो गया ।।४०६।।
(स्त्रियों ने कहा, "तुम जो हाकट (?) एस दांत लिए हुये हो, तुम सब बातें (झूठ) मिला रहे हो । तुम कल ही (यदि) द्वार कर गये थे तर तो सुन्दर थे । प्राज कैसे क़बड़े हो गये?" ॥४०७।।
१. मूल पाठ - कूबडउ ।