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साधु की हठ तो इससे तुम्हें क्या फायदा होगा, और उन पर पाप चढ़ेगा। मैं इसी से कहती हूँ, खुदा के लिए तुम चले जाओ।"
साधु ने कहा, "अगर खुदा मुझ से अभी तक नाराज हैं, अभी तक नापाक हूँ, तभी ऐसा होगा कि मेरी वजह से किसी से बेजा काम हो सके। और तब ऐसा होना ठीक भी है; क्योंकि तब मुझे खुदा की इबादत की जरूरत का एक सबूत और मिलेगा।" ___ महिला ने कहा, "अगर तुम मेरी बात नहीं मान सकते, मेरी भीख भी नहीं ले सकते, तो मैं कहती हूँ कि तुम्हारा यहाँ कोई काम नहीं है । और मेरी दरख्वास्त नहीं मानते, तो मुझे घर की मालिकन की हैसियत से कहना पड़ता है कि तुम यहाँ से चले जाओ।"
महिला ने यह क्यों कहा?
साधु को चलना था ही, चलने लगा। लेकिन महिला ने रोककर कहा, "जाते कहाँ हो जी ? कौन कहता है तुम्हें जाने को ? ठहरो, मुझे एक काम है तुम से, जाना मत, मैं अभी आई। कहकर वह अन्दर चली गई। साधु रुककर स्थिर खड़ा रहा। इतने में एक दरी लेकर वह आईं, उसे बिछा दिया, कहा, "ठहरोगे ही, तो ठहरो;
और आराम से यहाँ बैठो। बाहर क्यों बैठोगे? वह आयेंगे और देखेंगे ही तो देखें। लेकिन बाहर दरवाजे पर बैठने का क्या मतलब है ? मैं उनसे कह दूंगी कि मैंने ही बैठाया है । कुछ हर्ज है बैठाने में ?"
लेकिन साधु खड़ा ही रहा। महिला ने कहा, "बैठो। बैठते क्यों नहीं ? पसोपेश मत करो। यह बदकिस्मती है कि तुम कुछ खाओगे नहीं। मेरी बात तुमने कुछ नहीं मानी। मैंने चले जाने की दरख्वास्त की, तुमने ठहरने ही का फैसला रखा । भीख के लिए आये; मैं कुछ देती हूँ, तो इन्कार करते हो । अब तुम्हारे