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छिहा ने मेरे मित्र के निकट अपनी सर्वथा अनभिज्ञता प्रकट की । “गङ्गाजी की कसम, मैं कुछ नहीं जानता । किसी ने मुझे कुछ नहीं दिया । पानवाले को मैंने जनम-जनम नहीं देखा । " आदि ।
सो, वे चीजें मेरे पास अब भी हैं। पर सोचता हूँ, किसी दीन विधवा को दे दूँ । नहीं तो, बताइए, क्या करूँ ?
पानवाला